गाजीपुर में होगा उपचुनाव! लेकिन कौन संभालेगा माफिया अफजल अंसारी का राजनीतिक विरासत ?
UP GAZIPUR: अंसारी बंधुओं की राजनीति की चर्चा इन दिनों यूपी में खूब हो रही है। अतीक बंधुओं की हत्या के बाद सूबे की राजनीति अंसारी बंधुओं के इर्द गिर्द घूम रही है और चर्चा यह हो रही है कि इतने बड़े बड़े माफियाओं की इंट्री आखिर राजनीति में कैसे हो जाती है ?
पूरे देश में राजनीतिक माहौल बड़ी बदलता जा रहा है। एक तरफ अडानी के मसले पर केंद्र की मोदी सरकार घिरी हुई है। फिर महिला पहलवानो के मसले पर बीजेपी पर कई सवाल उठ रहे हैं। उधर राहुल गाँधी की सजा को लेकर भी बीजेपी पर कई सवाल उठ रहे हैं लेकिन इसी बीच यूपी में माफियाओं के खिलाफ चल रहे योगी सरकार के अभियान के बाद जिस तरह से मुस्लिम माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई हो रही है उससे कई तरह की कहानी सामने आ रही है। देश माफ़ियामुक्त हो यह हर कोई चाह रहा है लेकिन माफ़ियामुक्त राजनीतिक पार्टी भी हो इस पर कोई काम होता नहीं दिख रहा। यह केवल यूपी तक ही सिमित नहीं है। देश में चुनाव लड़ रही हर पार्टियां माफियाओं को लेकर मौन साधे हुए हैं। कोई भी ऐसी पार्टी नहीं है जहां माफिया नहीं हों। खासकर देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस भी माफियाओं से भरी हुई है। कोई एक दूसरे पर सवाल नहीं कर सकती।
पिछले दिनों माफिया अफजल अंसारी के खिलाफ कार्रवाई की गई और उसे चार साल की सजा हो गई। अफजल बसपा के सांसद हैं। उनका लोकसभा क्षेत्र यूपी का गाजीपुर है। गाजीपुर में उनकी खूब चलती है। स्थानीय लोग उसे माफिया नहीं मानते। थोक के भाव में वोट देते हैं और अफजल की राजनीति अब तक चमकती रही है। अब सजा मिलने के बाद अब अफजल की राजनीति पर ग्रहण लग गया है। उसकी सांसदी तो जाएगी ही उसकी राजनीति भी ख़त्म हो जाएगी। उम्र के जिस पड़ाव पर अफजल हैं ,फिर यह अपेक्षा नहीं की जा सकती है कि वह राजनीति कर पाएंगे।
ऐसे में अब सवाल है कि गाजीपुर से अब अफजल की राजनीतिक विरासत को कौन संभालेगा ? अफजल के परिवार की हिस्ट्री को देखा जाए तो परिवार के अधिकतर सदस्यों पर काफी मुक़दमे दर्ज हैं। मुकदमे भी साधारण नहीं हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर अफजल का राजनीतिक वारिस कौन हो सकता है ?
उधर बसपा प्रमुख अभी तक इस मसले पर मौन हैं। वह कुछ भी कहने को तैयार नहीं। मायावती की नजर अगले लोकसभा चुनाव पर टिकी है और मुस्लिम माफियाओं पर वह कुशः बोलना नहीं चाहती। इस बार के नगर निकाय चुनाव में मायावती ने बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। मायावती की समझ यही है कि निकी चुनाव में उसकी स्थिति मजबूत होती है तो लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिमो पर दाव लगाया जा सकता है। मायावती जानती है कि बदले राजनीतिक माहौल में दलितों के साथ मुस्लिमो को माहि लाया गया तो आने वाले समय में बसपा की राजनीति ख़त्म भी हो सकती है। ऐसे में मायावती को अफजल की राजनीति को भी बचने की चुनौती है और माफियाओं के खिलाफ न मज़बूरी भी। लेकिन असली सवाल यही है कि क्या अफजल के परिवार से गाजीपुर के संभावित उपचुनाव में कोई खड़ा होगा ?
अफजल अंसारी के करीबियों का कहना है कि परिवार के अधिकतर लोग कई मामलों में फंसे हुए हैं ऐसे में अफजल की छोटी बेटी नूरिया अंसारी अफजल की विरासत को सम्भाल सकती है और संभव है कि नूरिया को ही गाजीपुर उपचुनाव में उतारा जा सकता है। नूरिया के बारे में खा जाता है कि वह एक पढ़ी लिखी महिला है और पेशे से मनोवैज्ञानिक भी है। पिछले लोकसभा चुनाव में नुरियाँ ने अपने पिता अफजल को काफी मदद भी की थी और कई सभाओं में भी वह दिखी थी। लेकिन नूरिया की एक और कहानी है। वह काफी दिनों से सपा के नजदीक है और कहा कि सपा भी उसे टिकट देने को तैयार है।
अब मामला यह है कि बसपा के संसद रहे अफजल की बेटी अगर गाजीपुर से लड़ती भी है तो वह बसपा के साथ लड़ेगी या फिर सपा के टिकट पर लड़ेगी। मायावती को यह कहानी पता ही और यही वजह है कि अभी वह कुछ भी नबोल्ने को तैयार नहीं है। मायावती पहले देख रही है कि पहले जब अफजल की संसद सदस्यता ख़त्म हो जाएगी तभी गाजीपुर को लेकर कोई बयान देगी। वैसे भी बसपा का इतिहास रहा है कि अक्सर वह उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेती।
नूरिया अंसारी के अलावा एक और चेहरे की चर्चा चल रही है। उनका नाम है सुहेब उर्फ़ मन्नू अंसारी। सुहेब अफजल अंसारी के भतीजे हैं और मौजूदा समय में वे मुहम्मदाबाद से विधायक हैं। अफजल अपने इस भतीजे को काफी मानते भी हैं और मन्नू काफी नजदीक भी अफजल के रहे हैं।
बता दें कि अफजल और मुख़्तार अंसारी का परिवार बड़ा है। यह सम्मानित परिवार भी रहा है लेकिन इस परिवार की आपराधिक पृष्ठभूमि भी रही है। जानकारी के मुताबिक अभी अफजल अफजल अंसारी पर भी सात मामले दर्ज हैं। परिवार पर कुल 97 मुक़दमे दर्ज हैं। इनमे कई संगीन धाराएं भी हैं। मुख्तार अंसारी पर ही आठ मुकदमो सहित 61 मामले दर्ज हैं जबकि उनके बेटे अब्बास पर भी आठ और छोटे बेटे उमर पर 6 मामले दर्ज हैं। मुख़्तार की पत्नी अफ्शां अंसारी पर भी 11 मामले दर्ज हैं। ऐसे में गए की राजनीति इस परिवार की क्या होगी यह देखने की बात होगी। कयास तो कुछ और भी लगाए जा रहे हैं।