By-Elections: देश के छह राज्यों के साथ विधानसभा सीटों पर आज उपचुनाव जारी है। पिछले महीने भर से इसकी तैयारी चल रही थी। इन चुनावों के परिणाम आठ तारीख को निकाले जायेंगे। यह चुनाव बीजेपी के खिलाफ इंडिया गठबंधन से पहली बार हो रहा है। इस उपचुनाव में विपक्षी पार्टियों का गठबंधन यूपी के घोसी, झारखंड के डुमरी, त्रिपुरा के धनपुर और बॉक्सनगर और उत्तराखंड के बागेश्वर विधान सभा सीट पर संयुक्त चुनाव लड़ रहा है।
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कौन जीतेगा और कौन हारेगा यह तो आठ तारीख को पता चलेगा लेकिन जीत के दावे सबके हैं। दावे तो इस तरह किये गए हैं जैसे पूरी जनता उनकी ही है और उनके इशारे पर ही जनता नाच रही है। किसी को लग रहा है कि जनता धर्म के नाम पर उसका साथ दे रही है तो किसी को यह भ्रम भी है जनता सेक्युलर समाज के नाम पर उसे ही वोट डाल रही है। लेकिन भ्रम को आप क्या कर सकते हैं। जब किसी परिवार के लोग एक बात पर एकमत नहीं होते तो में किसी नेता की बात पर एकता कैसे होगी यह समझ से परे है। लेकिन नेताओं और पार्टी चलाने दावे करते ही रहते हैं। लोकतंत्र झूठ पर टिका होता है। जहाँ झूठ की बोली लगती है। जनता भी राजनीतिक दलों से मोल टोल करती है और पार्टियां भी जनता को उल्लू बनाने से बाज नहीं आती। या सब बदलते माहौल का खेल है। जनता जानती है कि यह जीतकर भी हमारे लिए कुछ नहीं करेगा और वह नेता और पार्टी भी जानती है कि एक बार तुम्हारा वोट पड़ जाए तब उन्हें मजा चखा देंगे।
दोनों तरफ ठगी की कहानी चलती है। जनता कमजोर पड़ती है क्योंकि उसके पास कोई चारा नहीं होता और नेता चुकी किसी राजनीतिक पार्टी का हिंसा होता है और उसके पास बाहर सारे तंत्र होते हैं ऐसे में जो पार्टी चाहे जैसे भी हो चुनाव जीत जाता है वह खुद को मसीहा मानता है। लेकिन सच तो यही है कि जनता उसकी औकात को जानती है और उसे सबक भी सिखाती है।
इस बार जहां उपचुनाव हो रहे हैं ज़रा उस सीट का आंकलन कीजिए तो पता चलेगा कि इन सेटों के इर्द गिर्द रहने वाले लोगों की माली हालत क्या है ?कितनी गरीबी और बेवसी है। पत्रकार भी इनकी गरीबी और बेवसी का लाभ उठा ले जाते हैं। और नेता लोगों का कहना ही क्या है ? बार -बार यहाँ से कोई न कोई चुनाव जीत जाता है। हर बार चुनाव के दौरान बहुत वादे किये जाते हैं। मुस्लिम बहुल इलाका है तो मुसलमानों को बहुत से लाभ देने की कहानी रची जाती है और हिन्दू बहुल इलाका है तो हिंदुन के लिए स्वर्ग लोक ,हिन्दू देश राम राज्य और तीर्थ भ्रमण की कहानी के पास फेंके जाते हैं और जहाँ दोनों धर्मो के लोग हैं वहां मिली जुली कहानी रची जाती है। पैसे भी बांटे जाते हैं। भोज का आयोजन भी किये जाते हैं और फिर वोट ख़रीदे भी जाते जाते हैं। इतना सब करके जब किसी की जीत होती है तो डंका पीटा जाता है कि जनता ने विपक्ष या फिर सत्ता पक्ष को सबक सीखा दिया। लेकिन सवाल है कि जनता आखिर थी कहाँ?
यूपी की घोसी सीट पर सपा और टक्कर है। दोनों पार्टियों के अपने दावे हैं। दोनों ने बहुत से वादे भी किये ऐन। अब जनता किधर वोटिंग करती है इसे देखने की बात होगी। उधर झारखंड की डुमरी सीट का भी यही हाल है। वहां झामुमो और बीजेपी के बीच टक्कर है। उत्तराखंड की बागेश्वर सीट पर कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने है। कोई तो जीतेगा ही। लेकिन सवाल है कि जो जीतेगा वह क्या करेगा ? अभी तक किसने क्या कुछ किया ?