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Lok Sabha Chunav 2024 Congress: कांग्रेस बचा पायेगी उत्तर प्रदेश का आखिरी दुर्ग, अमेठी के बाद रायबरेली पर बीजेपी का दाव

Congress will be able to save the last fort of Uttar Pradesh, after Amethi, BJP stakes claim on Rae Bareli.

Lok Sabha Chunav 2024 Congress: राहुल गांधी की एंट्री से रायबरेली का चुनावी रण और अधिक रोचक हो गया है। गौरतलब है की 2004 से लगातार सोनिया गांधी सांसद के तौर पर संसद में रायबरेली का नेतृत्व करती रहीं हैं, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव से पहले ही वो राजस्थान से राज्यसभा पहुंच चुकी है। जिसके बाद से लगातार कयासों का बाजार गर्म था की आखिर कांग्रेस से रायबरेली में सोनिया की जगह कौन लेगा। पार्टी कार्यकर्ता यहां से हर हाल में गांधी परिवार से ही प्रत्याशी उतारने की मांग कर रहे थे जिस वज़ह से पार्टी इस सीट पर कोई फैसला नहीं कर पा रही थी। क्योंकि राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़ रहे थे ऐसे में चुनाव के बीच किसी और सीट पर राहुल के नाम का ऐलान वायनाड चुनाव को प्रभावित कर सकता था। और विपक्ष को बैठे बिठाए राहुल गांधी को घेरने का मौका मिल जाता, इसलिए कांग्रेस ने रणनीति के तहत अमेठी और रायबरेली में प्रत्याशियों के नाम के ऐलान को लटकाये रखा। ये अलग बात है की इस दौरान मीडिया में जमकर अलग-अलग नामों पर कयास लगते रहे। कभी प्रियंका वाड्रा तो कभी राहुल गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़ने की ख़बरें मीडिया की सुर्खियां बटोरते रही। यही नहीं रॉबर्ट वाड्रा और भाजपा नेता वरुण गांधी का नाम भी यहां से कॉंग्रेस के संभावित उम्मीदवारों के नामों में चर्चित रहा। लेकिन रायबरेली से राहुल के नाम की अधिकारिक घोषणा के बाद अब सभी अटकलों पर पूर्णविराम लग चुका है। राहुल गांधी अब रायबरेली से नामांकन कर चुके है उनका मुख्य मुकाबला यहां भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से होगा। जिन दिनेश प्रताप सिंह को बीजेपी ने अपना कैंडीडेट घोषित किया है, वह साल 2018 में कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आए हैं. वह उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और बीजेपी नेता हैं 2019 में उनका मुकाबला रायबरेली में सोनिया गांधी से था। दिनेश प्रताप सिंह को उस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। वह पिछले लोकसभा चुनाव में रायबरेली में दूसरे नंबर पर आए थे। दिनेश प्रताप सिंह पहली बार साल 2010 में और दूसरी बार 2016 में कांग्रेस से विधान परिषद के सदस्य बने थे। फिर उन्हों ने पार्टी को अलविदा कह दिया और बीजेपी का दामन थाम लिया। साल 2022 में दिनेश प्रताप सिंह बीजेपी के टिकट पर रिकॉर्ड वोटों से जीतकर तीसरी बार एमएलसी बने थे।

रायबरेली लोकसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत ही नहीं गांधी परिवार की सबसे सुरक्षित सीट भी मानी जाती है अब तक हुए चुनाव में ज्यादातर यहां से कॉंग्रेस का झंडा ही बुलन्द रहा है। कॉंग्रेस और गांधी परिवार के लिए ये सीट इस लिए भी अहम है क्योंकि इस सीट का नेतृत्व करते हुए राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी, दादी इंदिरा गांधी और उनकी माँ सोनिया गांधी संसद पहुंचते रहे है। अब राहुल गांधी पहली बार रायबरेली से चुनावी ताल ठोक रहे है ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी और परिवार के इस लगभग अभेद किले को बचाये रखना है क्योंकि 2019 में वो अपने सियासी गढ अमेठी को बीजेपी की स्मृति ईरानी के हाथों हार चुके है।

रायबरेली लोकसभा सीट की बात करें तो यहां अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस को सिर्फ तीन बार हार का मुहँ देखना पड़ा है, एक बार इमरजेंसी की सत्ता विरोधी लहर में और 1996 और 1998 के चुनाव में ही कांग्रेस को शिकस्त मिली है। इतना मजबूत सियासी अतीत होने के बावजूद भी राहुल गांधी के लिए रायबरेली का रण उतना आसान नहीं है जितना दिखाई दे रहा है क्योंकि पिछले कुछ चुनाव से से यहां कांग्रेस का जनाधार खिसक रहा है और बीजेपी का वोट बढ़ रहा है। 2014 में कांग्रेस को यहां एकतरफ़ा 75 प्रतिशत वोट मिला था जबकि बीजेपी को महज 21 फीसदी वोट मिले थे। लेकिन 2019 में दिनेश प्रताप सिंह के मैदान में आने के बाद भले ही सोनिया गांधी ने बाज़ी मारी हो लेकिन कांग्रेस का वोट प्रतिशत 55 फीसदी रह गया वहीं बीजेपी की हार के बाद भी वोट प्रतिशत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई और बीजेपी का वोट प्रतिशत 38 तक पहुच गया यही वज़ह है की भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के हौसले बुलंद है और वो किसी भी गांधी को रायबरेली से शिकस्त देने का दम भर रहे है।

दोनों तरफ से अपनी अपनी जीत के दावे किए जा रहे है लेकिन शह और मात के इस सियासी दंगल में कौन किसको पटखनी देता है और किसको फतेह मिलती है ये तो पोलिटिकल पहलवानो के दाव पेच तय करेंगे।

फिलहाल इतना तो तय है की इस बार रायबरेली का रण रोचक होने वाला है।

Nagendra Bhati

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