Bihar Crime Report: एक समय था जब दागियों, अपराधियों और बहुबालुओं की तूती संसद से विधान सभाओं में बोलती थी। देश का ऐसा कोई राज्य नहीं बचा था जहाँ की विधान सभाओं में अपराधियों की एंट्री नहीं थी। एक से बढ़कर एक अपराधी थे। दर्जनों आपराधिक सांसदों की आवाज संसद के भीतर गूंजती थी और कभी कभार हाथापाई की नौबत भी आती थी। हालांकि अब अब वैसा समय नहीं रहा। अब तो अधिकतर नेता ही आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। अधिकतर पर दाग लगे हुए हैं। अधिकतर करोड़पति नहीं अरबपति है। इसलिए अब कोई किसी पर उंगुली नहीं उठाता। जब सारी महफ़िल ही शराबियों की हो जाएं तो भला कौन किस पर उंगुली उठाये ।
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एडीआर और लेक्टिन वायच ने हाल में ही एक डाटा जारी किया है। यह आंकड़ा विचित्र है। यह भरमाता भी है और लुभाता भी है। लेकिन विचित्र बात यह है कि इस आंकड़े को जानकार भी देश के भीतर कोई हलचल नहीं है। देश का कोई भी मतदाता इस पर बात करने को तैयार नहीं है। राहुल अच्छे हैं या मोदी इस पर तो बात हो जाती है लेकिन देश के भीतर पनप रही राजनीति में आपराधिक प्रवृति को लेकर पूरा देश मौन है। इस पर भी मौन है और विपक्ष भी। कोई किसी से कम तो है नहीं।
आंकड़ा बता रहा है कि देश के जिन 763 सांसदों का विश्लेषण किया गया है इनमें से 40 फीसदी सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यानी करीब 300 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज है। कह सकते हैं देश की संसद में अभी 300 ऐसे आपराधिक केस वाले सांसद बैठ रहे हैं और हमारे लिए कानून बना रहे हैं। इन 40 फीसदी आपराधिक मामले वाले सांसदों में 25 फीसदी पर संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं ऐसे सांसदों पर बलात्कार, हत्या और हत्या के प्रयास और अपहरण के मामले दर्ज है। इस आंकड़े के साथ ही एडीआर ने यह भी बताया है कि इन सांसदों में से 53 फीसदी सांसद अरबपति है। इनकी औसत संपत्ति 39 करोड़ से ज्यादा है।
अब आप ही बता सकते हैं कि जब लोकतंत्र के नाम पर इतने सांसद दागी है और इतने सांसद अरबपति है तो फिर इस देश की 80 फीसदी गरीब जनता के लिए जो योजना बनती है उसका क्या होता है यह सब सहज ही समझने की जरूरत है। आम जनता की दुर्दशा क्या है और नेताओं की आमदनी कैसे बढ़ती जा रही है यह सब समझने में अब कोई ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है। आप समझ सकते हैं कि यह देश राजनीतिक रूप से ठगी का शिकार है और सभी दल मिलकर इस देश को लूट रहे हैं। इस लूट में कोई किसी से कम नहीं। जिसकी सरकार होती है उसकी लूट कुछ ज्यादा होती है और जब सरकार बदल जाती है तो फिर जो सत्ता में पार्टी आती है उसकी लूट ज्यादा बढ़ जाती है।
लोकतंत्र का यह तमाशा लम्बे समय से चल रहा है। इस तमाशे में कोई किसी से कम नहीं। जो कमजोर होते हैं उसे पकड़कर जेल में डाल दिया जाता है और जाे मजबूत होते हैं उसे बचा लिया जाता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि देश के प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक हमेशा भ्रष्टाचार की बात करते हैं। दोषियों को दण्डित करने की बात करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने तो यह सब कहके सत्ता तक ली । लेकिन जब आँख के सामने यह सब हो रहा है तो वे क्या कुछ करते हैं यह सब दिख रहा है। उनके एक्शन विरोधी पार्टी के नेताओं पर तो दिख रहे हैं लेकिन अपने सांसदों और नेताओं पर कोई एक्शन नहीं। उन्हें याद रखना चाहिए कि एडीआर की रिपोर्ट में उनकी पार्टी के भी अधिकतर सांसदों के नाम है। उन पर भी बड़े स्तर पर आपराधिक मामले हैं और उनके सांसद भी इधर कुछ सालों में बड़े अरबपति बने हैं। क्या यह सब प्रधानमंत्री को नहीं दिख रहा ?
एडीआर की रिपोर्ट यह भी बताती है कि सबसे ज्यादा आपराधिक मामले केरल के सांसदों पर दर्ज है। केरल के 29 सांसदों में से 23 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यानी यहाँ के 79 फीसदी सांसदों पर मामले दर्ज हैं। वही दूसरे नंबर पर बिहार (Bihar) के सांसद हैं। बिहार (Bihar) के कुल 56 सांसदों में से 41 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यानी बिहार के 73 फीसदी सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। इसी तरह महाराष्ट्र के 65 सांसदों में से 37 सांसद, तेलंगाना के 24 में से 13 और दिल्ली के दस में पांच सांसद अपराधी मामले के आरोपी हैं।
जिन सांसदों पर सबसे गंभीर मामले दर्ज है उनमें बिहार (Bihar) के सांसद सबसे ऊपर हैं। बिहार (Bihar) के 56 सांसदों में से 28 गंभीर रूप से दागी हैं। उन पर कई गंभीर आरोप है। तेलंगाना के 24 में से 9 पर गंभीर आरोप हैं और केरल के 29 में से दस पर गंभीर केस दर्ज हैं। लेकिन सच यही है कि ये सारे केस चल रहे हैं और ये सभी सांसद संसद में बैठ भी रहे हैं और अदालत को उलझाए हुए हैं। लोकतंत्र या यह खेल काफी मनोरंजक है।