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रामशिला यात्रा से चीन के एजेंडे को लगा आघात,रामशिला यात्रा ने चीन के मंसूबों पर फेरा पानी!

नेपाल, भारत का न सिर्फ पड़ोसी देश है.बल्कि सदियों से भारत के नेपाल के साथ सांस्कृतिक, विरासत, रोटी-बेटी वाले संबंध रहे हैं.प्रभु श्री राम का विवाह भी आज के नेपाल और उस समय के जनकपुर कहलाने वाले राज्य के राजा जनक की बेटी राजकुमारी सीता से हुआ था

India-China Latest News Today! भारत का पड़ोसी देश चीन.हमेशा से भारत और नेपाल के रिश्तों में दरार डालने की कोशिश में लगा रहता है.चीन, नेपाल को अपने करीब लाने की कोशिश करते हुए भारत को साइडलाइन करने की मंशा पर लगातार काम करता आ रहा है.चूंकि नेपाल, भारत का न सिर्फ पड़ोसी देश है.बल्कि सदियों से भारत के नेपाल के साथ सांस्कृतिक, विरासत, रोटी-बेटी वाले संबंध रहे हैं.प्रभु श्री राम का विवाह भी आज के नेपाल और उस समय के जनकपुर कहलाने वाले राज्य के राजा जनक की बेटी राजकुमारी सीता से हुआ था.

रामशिला यात्रा से चीन के एजेंडे को लगा आघात!

नेपाल भी कभी किसी काल में भारत का हिस्सा हुआ करता था…चूंकि नेपाल भी सनातन धर्म को मानने वाला देश है.इसलिए भारत-नेपाल के संबंध परस्पर मधुर रहे हैं…तभी तो भारत-नेपाल के बीच वीजा या पासपोर्ट लागू नहीं है.दोनों देशों के लोग बिना वीजा-पासपोर्ट के आते-जाते हैं…यही नहीं नेपाली लोग भारत में काम भी करते हैं.लेकिन चीन की कुदृष्टि हमेशा नेपाल पर रहती है.वो नहीं चाहता कि नेपाल-भारत के संबध अच्छे रहें.इसलिए वो समय-समय पर नेपाल की राजनीति में दखल देता है.चीन अपनी विस्तारवादी नीति के चलते नेपाल को कब्जाने की कोशिश में लगे रहता है.ताकि वो नेपाल के लोगों को भारत के खिलाफ भड़काकर भारत को तोड़ने की मंशा में कामयाब हो सके.लेकिन राम-सीता के देश में वो हर बार मात खाता है.और इस बार रामशिला यात्रा ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया है.

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रामशिला यात्रा ने चीन के मंसूबों पर फेरा पानी!

दरअसल अयोध्या में जब से राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ.तो नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री विमलेंद्र निधि ने श्री रामजन्मभमि तीर्थ ट्रस्ट से ये आग्रह किया था कि.इस पुण्य कार्य में नेपाल का भी सहयोग इसमें होना चाहिए.नेपाल के धानुष जिले के जनकपुर धाम से विमलेंद्र निधि सांसद भी हैं…ये जगह माता सीता की जन्मभूमि यानी उनका मायका भी है.ट्रस्ट के अलावा विमलेंद्र निधि ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्तर पर भी बातचीत शुरू की थी और जल्द ही तीर्थ ट्रस्ट ने इस पर हरी झंडी दिखा दी और इसके बाद नेपाल का ये प्रस्ताव मान लिया गया कि.राममंदिर में प्रतिष्ठित होने वाली प्रतिमाओं का निर्माण नेपाल की काली गंडक नदी की शालिग्राम शिला से ही हो रहा है.काली गंडक नदी ही दुनिया की एक मात्र ऐसी नदी है.जहां उच्चकोटि की शालिग्राम शिलाएं मिलती हैं.इसलिए इसको शालिग्राम नदी भी कहा जाता है.

चीन-नेपाली कम्युनिस्टों को लगा धक्का

नेपाल की सरकार ने एक कैबिनेट मीटिंग की और फौरन एक्सपर्ट की टीम काली नदी भेजी.इसके बाद 26 टन और 14 टन की दो शालिग्राम शिलाओं को चुना गया.जिनकी उम्र 6 करोड़ वर्ष बताई जा रही है.काली गंडक नदी का पौराणिक महत्व भी है.त्रेतायुग से लेकर महाभारत के सभापर्व में इस नदी का उल्लेख मिलता है.गंडक या गंडकी नदी.काली और त्रिशूल नदियों के संगम से बनी है.जो नेपाल की उच्च हिमालयी पर्वतश्रृंखलाओं से निकलती हुई भारत में आती है.यहां इसे नारायणी नदी के नाम से जाना जाता है.जो बिहार में गंगा नदी में मिल जाती है.शिवलिंग की तरह ही शालिग्राम भी बहुत दुर्लभ मिलते हैं.जो अधिकतर नेपाल की इसी नदी में पाए जाते हैं.पूर्ण शालिग्राम में भगवान विष्णु के चक्र की आकृति अंकित होती है.देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह से मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है.

Utpal Deo Kaushik

executive editor

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