INDIA-NDA: बसपा मुखिया मायावती ने एक बार फिर से यह साफ़ कर दिया है कि वही किसी भी गठबंधन का हिस्सा अगले लोकसभा चुनाव में नहीं बनने जा रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि बसपा का गठबंधन जनता के साथ है। वह न तो इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी और न ही एनडीए के साथ जा रही है। मायावती के इस बयान के बाद अभी तत्काल तो यही कहा जा सकता है कि अभी बसपा डॉन ही गठबंधन से दूरी बनाकर चल रही है। आगे की क्या राजनीति होगी ,कहना कठिन है।
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बता दें कि काफी समय से यह अटकले लगाईं जा रही थी कि बसपा देर सवेर इंडिया गठबंधन के साथ जा सकती है। कुछ लोग यह भी कह रहे थे कि मायावती और प्रियंका गाँधी के बीच कुछ बातों पर सहमति भी बनी है और उम्मीद है कि जल्द ही बसपा इंडिया गठबंधन के साथ आ सकती है। खबरे तो यहाँ तक सामने आई कि मायावती के भतीजे और कांग्रेस के बीच भी बातचीत चल रही है और पांच राज्यों के चुनाव के बाद बसपा कोई बड़ा निर्णय ले सकती है।
इन कयासों के बीच अब मायावती ने यह साफ़ कर दिया है कि अभी फिलहाल वह किसी भी गठबंधन में नहीं जा रही है लेकिन भविष्य में क्या कुछ होगा यह कौन जानता है ? पांच राज्यों के चुनाव परिणाम पर बहुत कुछ निर्भर करता है। अगर चुनावी परिणाम इंडिया के पक्ष में आते हैं तो देश के चुनावी समीकरण और भी बदल सकते हैं। और परिणाम यदि एनडीए के पक्ष में गए तो राजनीतिक समीकरण कुछ और ही होंगे। फिर आज मायावती जो कह रही है उसका कोई मतलब नहीं रह जायेगा।
जानकार कह रहे हैं कि मायावती अभी कोई भी निर्णय बीजेपी के भय से नहीं ले रही है। ऐसा हो भी सकता है। लोग यह भी कह रहे हैं कि बीजेपी ने उनके खिलाफ कई तरफ की फाइलें तैयार कर राखी है। लेकिन सच तो यही है कि उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है ,एक आरोप ताज कॉरिडोर का था लेकिन वह सब कहने भर की बात है। इतना जरूर है कि उनके भतीजे के खिलाफ मोइदा में एक जमीन और फ्लैट से जुड़े मामले जरूर जांच के दायरे में हैं और संभव है कि इसी केस को लेकर अभी मायावती दिख रही है।
लेकिन सवाल यह भी है कि क्या बसपा के पास अभी भी वोट उगाहने की ताकत बची हुई है। पिछले कुछ चुनावों के पैटर्न को देखे तो साफ़ लगता है कि बसपा के वोट बैंक में लगातरा कमी होती जा रही है। पहले किसी भी सूरत में बसपा को जहाँ 22 फीसदी वोट मिलते ही थे अब घटकर 12 फीसदी पर पहुँच गए हैं। यह भी सच है कि उनके बहुत से वोटर बीजेपी के साथ भी गए हैं और सपा से भी जुड़े हैं। इधर बसपा का बड़ा वोट बैंक जो मुस्लिम वोट बैंक था लगभग दिख रहा है। हालिया राजनीतिक खेल को देखे तो मुस्लिम वोट बैंक का बड़ा हिंसा सपा और बसपा से निकलकर कांग्रेस की तरफ शिफ्ट होता दिख रहा है। ऐसे में सवाल है कि क्या बसपा अकेले दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी आखिर क्यों कर रही है ?पिछले लोकसभ चुनाव में बसपा का सपा के साथ गठबंधन था तो बसपा को दस सीटों पर जीत गई थी। सपा तो मात्र पांच सीटों पर ही सिमट गई थी। ऐसे में बसपा भी यह जानती है कि किसी गठबंधन के जरिये ही वह आगे की राजनीति में सफल हो सकती है। उधर पश्चिम यूपी में दलितों का एक बड़ा वर्ग भीम,आर्मी के साथ भी जाता दिख रहा है ऐसे में आने वाले समय में बसपा जरूर किसी गठबंधन के साथ जाएगी और इसे इंकार भी नहीं किया जा सकता।