Maharashta News: महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में बीते एक साल से जो हो रहा है उसके बाद यह यकीन करना कठिन है कि कब क्या हो जाए! कोई मान सकता था कि बालासाहेब की शिवसेना कभी बंट जाएगी? लेकिन बंट गई और शिवसेना पर कब्ज़ा भी हो गया। उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray, Maharashtra) देखते रह गए। यह तो बालासाहेब का इकबाल है कि उद्धव ठाकरे की जमीन आज भी बरकरार है और उनकी राजनीति आगे चल रही है। लेकिन चुनाव में क्या होता है यह काफी महत्वपूर्ण है।
फिर एनसीपी भी टूट गई। शरद पवार की एनसीपी में टूट कोई मामूली बात नहीं है। भतीजे ने चाचा को गच्चा दिया और करीब 40 विधायकों के गुट काे अपने साथ कर लिया। क्या कोई सोंच सकता है कि अजित पवार जैसे पके पकाये नेता भी इस तरह से शरद पवार को अलग कर सकते हैं। लेकिन यह सब हुआ। लोग कहते हैं कि अजित पवार ने केवल सीएम बनने के लिए ही यह सब किया है। लेकिन क्या यही एक सवाल है? क्या यही एक कारण हो सकता है? हरगिज नहीं। जब राजनीति का आकलन करने बैठेंगे तो कई पहलू सामने आते हैं। लेकिन याद रखिये इसी देश में यह भी कहावत है कि जो अपने परिवार को छोड़ सकता है वह किसी को भी छोड़ सकता है। तो क्या अजित पवार बीजेपी को भी छोड़ सकते हैं? ऐसा संभव है और ऐसा हो भी सकता है। राजनीति में जब कुछ असंभव नहीं तो पार्टी बदलने का खेल तो दाए बाएं हाथ की कहानी है। इस खेल में सिर्फ एक बात पर नजर रखी जाती है मौके की। मौका मिला तो कुछ भी संभव हो सकता है।
पिछले दिनों शरद पवार ने गुप्त रूप से अजित पवार से पुणे में मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में भूचाल आ गया। खासकर विपक्षी एकता को लेकर कई तरह की कहानी चलने लगी। शरद पवार की राजनीति पर टिप्पणी की जाने लगी। कहा जाने लगा कि अब शरद पवार भी बीजेपी के साथ जा सकते हैं यानी अपने भतीजे के साथ जा सकते हैं। कह सकते हैं कि पूरी एनसीपी ही बीजेपी के साथ जा सकती है।
लेकिन शरद पवार को कौन जाने! उनकी राजनीति को आज तक कोई समझ नहीं पाया है। लगे हाथ दो दिनों बाद उन्होंने अपने भतीजे से मुलाकात का खुलासा किया। कहा कि अजित पवार (Maharashtra Politics) हमारे भतीजे हैं और हम घर के सबसे बड़े आदमी हैं। ऐसे में कई मुद्दों पर भी बात होती है लेकिन इसका मतलब यह है कि हम उनके साथ है या बीजेपी के साथ हैं। उन्होंने इस बात का भी ऐलान किया कि उनकी एनसीपी कभी भी बीजेपी के साथ नहीं जा सकती। बीजेपी के साथ हमारी राजनीति मेल नहीं खाती। हम इंडिया के साथ है और मिलकर अगला चुनाव लड़ेंगे। इसके साथ ही मुंबई की बैठक को सफल भी बनाएंगे। याद रहे मुंबई में इंडिया गठबंधन की बैठक इसी महीने की अंतिम तारीख को ही और इस बैठक के मेजबान शरद पवार ही है।
उन्होंने कुछ और भी खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि हमारे कई शुभचिंतक हमें इस तरह का सलाह देते हैं कि हम बीजेपी के साथ चले जाए लेकिन एनसीपी कभी भी बीजेपी के साथ नहीं जा सकती। शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा कि एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को लेकर भी कई सवाल किये जाते हैं। लेकिन सच यही है कि वे एनसीपी के साथ है। लेकिन उनके एक रिश्तेदार पर ईडी का दवाब है ताकि वे बीजेपी में शामिल हो जाए। बीजेपी यह सब खूब कर रही है। पवार ने साफ़ तौर से कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग किया जा रह है।
लेकिन सवाल तो यही है कि शरद पवार (sharad pawar) जो कह रहे हैं उससे विपक्षी एकता सहमत है? उसे यकीन है? जानकार कह रहे हैं कि अगर विपक्षी इंडिया को यकीन नहीं भी है तो उसे अभी यकीन तो करना ही होगा। क्योंकि उसके पास अभी कोई चारा नहीं है। मुंबई बैठक के बाद बहुत कुछ साफ़ हो जायेगा। शरद पवार को जैसे ही कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी उनकी राजनीति साफ़ हो जाएगी।