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पांच राज्यों के चुनाव खत्म, अब मिशन 2024 की बारी

Lok Sabha Elections 2024: देश का मिजाज ही कुछ ऐसा है कि यहां हर दिन चुनाव की बात की जाती है और नेता के साथ ही जनता भी चुनाव के सहारे ही जीवित रहने को आदि हो गई हैं। भारत के अलावा दुनिया के किसी भी देश में चुनाव की उतनी महत्ता नहीं है। चुनाव तो हर जगह होते हैं। कहीं पांच साल पर तो कही तीन साल पर कही चार साल भी। लेकिन भारत में तो चुनाव को लोकतंत्र का महा पर्व कहा गया है। इस पर्व में सभी उबलते रहते हैं। नेताओं की अपनी गर्मी होती है और जनता के भीतर का अपना तूफ़ान। पांच राज्यों के चुनाव अभी खत्म भी नहीं हुए कि लोकसभा की दुंदुभि बज गई है। बीजेपी नेता और गृह मंत्री अमित शाह बंगाल पहुंच कर आगामी लोकसभा चुनाव का डंका पीट आये हैं। चुनावी दुंदुभि कर आये। उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव के मुद्दे को भी गिना आये। शाह ने किसी को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने पहले वाम दलों को नीचे दिखाया और फिर टीएमसी को महा भ्रष्ट बताया।

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कांग्रेस को तो पहले ही भ्रष्ट बता चुकी है बीजेपी। बीजेपी के लोग खुद के बारे में क्या कुछ सोंचते हैं यह शायद उन्हें भी पता नहीं। देश की जनता बीजेपी को किस नाम से पुकारती है यह भी शायद बीजेपी के लोगों को पता नहीं। सच यही है कि अगर इस देश को हिन्दू मुसलमान मिलकर सींचते रहेंगे। बीजेपी की राजनीति चलती रहेगी। बीजेपी की पूरी राजनीति हिन्दू -मुसलमान पर जा टिकी है। यह राजनीति संघ की भी। मिट शाह ने बंगाल के धर्मतला में क्या कुछ नहीं कहा ? सब कुछ बोल गए उन्होंने कहा कि अगले चुनाव से पहले सीएए और एनआरसी लागू होगा। कोई उनसे पूछे कि देश का कोई आदमी उनके इस कदम का विरोध किया है क्या ? जनता अपने मुद्दों को लेकर धरना प्रदर्शन जरूर करती है। और यह सब संवैधानिक अधिकार है। लेकिन अगर सरकार कुछ करना चाहे तो उसे कौन रोक सकता है। बीजेपी और उसकी सरकार को चाहे जो भी मन करे वह कर सकती है और कर भी रही है लेकिन यह सब सभा में बताने की क्या जरूरत है ?

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सच तो यही है कि देश की राजनीति में तूफ़ान लाने की कोशिश भरी जा रही है। हिन्दू और मुसलमानो के बीच खाई खेड़ा करने की राजनीति हैं यह सब। हिन्दुओं का ध्रुवीकरण हो यह सब करने की कोशिश है भ्रष्ट कौन है और नहीं इसका आकलन भला कोई राजनीतिक पार्टी कर सकती है। क्या एक नेता दूसरे को भ्रष्ट कह सकता है ? क्या बीजेपी दूसरी पार्टी को भ्रष्ट कहने का दवा कर सकती है ? इसका एक मात्र उदाहरण यही है कि जब देश के हालिया पांच राज्यों के चुनाव में सबसे दागदार उम्मीदवार बीजेपी के ही चुनावी मैदान में खड़े रहे हैं तब भ्रष्ट और भ्रष्टाचार की कहानी नेताओं की जुबानी अच्छी नहीं लगती। चुकी इस देश की जनता ही लोभ और बेईमानी के जाल में फसी हुई है इसलिए कोई भी राजनीतिक दल सबसे पहले जनता को ही शिकार बनाती है।

देश के सामने कई समस्याएं हैं। सबसे बड़ी समस्या तो बेकारी ही है। लेकिन शाह ने यह नहीं कहा कि आगामी चुनावमे बेरोजगारी पर हमला किया जायेगा। महंगाई पर चोट की जाएगी। उन्होंने यही कहा कि अब देश में सीएए और एनआरसी को कोई रोक नहीं सकता। इसके क्या मायने हैं। देश की जनता को ही समझने की जरूरत है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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