Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीनों का वक्त बचा है। नेता और राजनेता 2024 के रण को फतह करने के लिए मैदान में उतर चुके हैं। देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party ) का सामना करने के लिए विपक्ष ने महागठबंधन I.N.D.I.A (Indian National Developmental Inclusive Alliance) बनाया, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में विपक्षी गठबन्धन की गांठे खुलती हुई दिख रही है। इस बार वजह है समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बड़े नेताओं की बयानबाजी। जिससे कि ये सवाल उठने शुरु हो गए हैं कि क्या चुनाव तक गठबन्धन चल पाएगा। चूंकि गठबन्धन में असली पेंच सीट शेयरिंग के मुद्दे पर फंसेगा, जिसके अभी से संकेत आने शुरू हो गए है।
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दरअसल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party President Akhilesh Yadav ) मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं, जाहिर है नेता हैं तो दौरा करेंगे ही। लेकिन ये दौरा अपने आप में बहुत कुछ संकेत देने वाला है। जी हां आपको याद होगा पिछले दिनों कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय (Congress State President Ajay ) ने बयान दिया था, जिसके बाद अखिलेश यादव ने जोरदार पलटवार भी किया था। लेकिन अब अखिलेश यादव एमपी और राजस्थान में सक्रियता बढ़ाकर ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि गठबन्धन में सपा का दायरा सिर्फ यूपी तक ही सीमित नहीं रहने वाला बल्कि एमपी और राजस्थान तक दावेदारी होगी। ये एक स्टेप आगे का कदम है, जो पिछले दिनों हुई बयानबाजी के बाद सामने आया है। यानी कि अगर यूपी में सपा कम्प्रोमाइज करेगी तो दूसरे राज्यों में कांग्रेस को भी कम्प्रोमाइज करना पड़ेगा। लेकिन सवाल ये कि ये होगा कैसे। चूंकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि कांग्रेस पार्टी 80 की 80 सीटों पर तैयारी कर रही है। अब अजय राय ने सभी 80 सीटों पर तैयारी की बात की तो बदले में अखिलेश का पलटवार भी सामने आया। सुल्तानपुर पहुंचे अखिलेश यादव ने दो टूक कहा कि वो सीटें मांग नहीं दे रहे हैं।
सीट शेयरिंग की असल चुनौतियां क्या हैं
दरअसल, यूपी में विपक्षी गठबन्धन (Indian National Developmental Inclusive Alliance) में फिलहाल शामिल 4 दल हैं, इनमें समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आरएलडी और अपना दल कमेरावादी हैं। यूपी की 80 सीटों में सपा (Lok Sabha elections) की दावेदारी 65 सीटों पर है, और 10 सीटों से कम पर आरएलडी भी नहीं मानेगी। अब बची पांच सीटें, जो कांग्रेस और अपना दल कमेरावादी के लिए बचती हैं। तो ये सभी बातें ये संकेत दे रही हैं, कि गठबंधन खतरे में है।
क्या चाहती है कांग्रेस?
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस कम से कम 40 सीटें चाहती है, अगर 40 कांग्रेस को दे दी गई तो बाकी 40 में सपा, आरएलडी अपना दल कमेरावादी में बंटेगी। अब सवाल ये है कि क्या समाजवादी पार्टी इतनी कम सीटों पर तैयार होगी ? यानी कि संकेत साफ है कि गठबन्धन तो हो गया लेकिन सीट शेयरिंग कैसे होगी इसका कोई फॉर्मूला फिलहाल किसी के पास नहीं है। ऐसे में चुनाव आते आते कोई सहमति बन पाएगी। समाजवादी पार्टी जो यूपी में गठबन्धन का खुद को बॉस मान कर चल रही है उसकी कांग्रेस के सामने कितनी चलेगी ये तो वक्त बताएगा लेकिन फिलहाल अजय राय और अखिलेश की जुबानी जंग ये बता रही है कि कम से कम यूपी में तो गठबन्धन में ऑल इज वेल नहीं है।
बीजेपी ने विपक्ष को घेरा
अब इस वार-पलटवार के खेल में भारतीय जनता पार्टी भी कहां पीछे रहने वाली थी, भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता एक्शन में आ गए। और समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर जमकर सियासी तीर छोड़े। बीजेपी नेताओं ने कहा कि विपक्ष सत्ता का भूखा है।