INDIA Alliance News: इंडिया गठबंधन को झटका तो उसी दिन लग गया था जब नीतीश कुमार ने पलटी मर दी थी। अगर इससे पहले की बात को भी सामने लाई जाए तो यह भी कि जिस दिन दिल्ली में गठबंधन (Alliance) की बैठक हुई थी और ममता ने खड़गे (Kharge) के नाम को पीएम उम्मीदवार (PM Candidate) के रूप में आगे बढ़ाया था उसी दिन गठबंधन में खटास आ गई थी। ममता (Mamta) के इस खेल को नीतीश (Nitish) ने सीने पर बैठा लिया और मौन होकर पटना निकल गए। कहा जाता है कि नीतीश कुमार यही से कुछ अलग प्लानिंग करने लगे थे और अपने दरवाजे को बीजेपी के लिए खोल दिया था।
जानकार कई तरह की जानकारी देते हैं लेकिन सच तो यही है कि अगर कोई जाना चाहता है तो उसे कौन रोक सकता है ? जाने वाले के कई बहाने होते हैं और फिर राजनीति (Politics) तो झुठ और पाखंड का आखाड़ा ही है। ऐसे में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जो किया है वह कितन सही है और कितना गलत यह कौन जज करेगा ? ऊपर से देखने में आज नीतीश की राजनीति की काफी धिकारत भरी नजरों से देखी जा रही है लेकिन सच तो यह भी है इस तरह के खेल में कौन से नेता शरीक नहीं है। राजनीति की पूरी किताब को आप पढ़िए तो साफ़ हो जाता है कि यहां सच का कोई जगह नहीं है और आडम्बर के जरिये ही जनता को ठगने की कोशिश की जाती है। नीतीश गए इसके बाद जयंत भी चले गए। ममता और केजरीवाल अभी भी गठबंधन में तो हैं लेकिन कब क्या करेंगे यह कोई नहीं जानता। कहा जा रहा है कि इन सभी दलों पर बीजेपी और सरकार का शिकंजा है और शिकंजे से भला कौन बचेगा ? सरकार जबतक है तब तक सबकी हेकड़ी निकल रही है। भला जेल कौन जाना चाहता है ? लेकिन जेल जाने की तैयारी से ही लोग घबरा जाते हैं। यह सब इसलिए कि जेल जाते हैं उनकी राजनीति ख़त्म हो जायेगी। बाहर से भी और पार्टी के भीतर से भी। आजकल भीतर के लोग ही ज्यादा खतरनाक होते हैं।
अब फारुख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) भी अलग से चुनाव लड़ने का ऐलान किय है। उन्होंने कहा है कि जम्मू कश्मीर में उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। किसी के साथ समझौता नहीं करेगी। इस खेल के पीछे की कहानी चाहे जो भी हो लेकिन एक कहानी तो साफ़ है कि फारुख भी ईडी (ED) के घेरे में हैं और उनकी पूछताछ चल भी रही है।
जम्मू कश्मीर में फारुख अकेले भी चुनाव लड़ते हैं तो उनको कौन रोक सकता है ? जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) में कई पार्टियां है। पीडीपी (PDP) भी गठबंधन (Alliance) में शामिल है। अब वह क्या करेगी यह कोई नहीं जानता। लेकिन पीडीपी भी जांच एजेंसियों के रडार पर है। ऐसे में लगता है कि धीरे -धीरे अधिकतर पार्टियां गठबंधन से अलग हो जाएंगी और बाद में सुविधा के मुतविक सरकार बनाने और बिगाड़ने का खेल करेगी और ऐसा होता है तो बीजेपी (BJP) को लाभ ही लाभ है। बीजेपी चाहती भी तो यही है।