नेहरू के बाद पीएम मोदी का जापानी दौरा क्यों है खास?
G-7 Summit: पीएम मोदी अक्सर किसी न किसी देश का दौरा करते रहते हैं। लेकिन पीएम का ये दौरा ऐतिहासिक पन्ने पर दर्ज होने वाला है। क्योकि भारतीय पीएम ने पहली बार जापान में अपना कदम रखा है। जापान के पापुआ, न्यू गिनी, और आस्ट्रेलिया यानी कि एक साथ पीएम मोदी की 3 देश में ताबड़ताड़ 40 बैठकों में शिरकत करने वालें हैं। जहां पीएम मोदी जी7 शिखर सम्मेलन में शामिल हो भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मोदी चौथी बार G7 में हिस्सा लेने वाले पीएम बन गए है।
बता दें कि पीएम की ये 6 दिवसीय यात्रा कई मायनों में अहम होने वाली है। भारत को बतौर गेस्ट कंट्री के रूप में इनवाइट किया गया। मोदी 24 से भी अधिक गलोबल नेताओं से बात करेंगे जिसमें पीएम मोदी के लिए भी एक चैलेंज होगा कि उन्हें ग्लोबल आर्डर में अपनी धमक बनानी है। उन्हे कई दिपक्षीय नेताओं से भी गहन बातचीत करनी है।
बता दें कि जापान के हिरोशिमा में हो रहे जी7 मे सामिल होने वाले कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली जापान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल है। साथ ही दुनिया भर के तमाम दिग्गज हस्तियां भी आमंत्रित हैं। पहले दो सेशन में 20 मई को होगा तो अगला सेशन यानी की तीसरा सेशन 21 मई को होगा। पहले सेशन में स्वास्थ, लैंगिक समानता पर विचार विमर्श होगा। तो वहीं दूसरे सेशन की बात करें तो जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण को लेकर बैठक में बातचीत की जाएगी। तीसरे सेशन में शांति, मजबूत और प्रगतिशील विश्व तैयार करने के लिए होगी।
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अभी तक क्यो किसी पीएम ने जापान नही जाना चाहा
जान लीजिए कि 1747 के बाद से कोई भारतीय पीएम जापान के दौरे पर नही गया। बात ये है कि जब गांधी ने पोखरण में अपना पहला परीक्षण किया था तो जिसका सीधा प्रभाव भारत और जापान के रिश्ते पर पड़ा था। उसी दौरान जापान ने भारत के खिलाफ झूठें और आक्रामक बयान दिए गए थे। यहां तक कि पोखरण पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा था। फिर उसके बाद 1998 में एक बार अटल बिहारी बाजपेयी के पीएम रहते हुए दूसरा परिक्षण किया। जिसके बाद जापान ने भारत को आर्थिक झटका दिया। जिससे जापान और भारत के रिश्तों में दरारें और गहरी हो गई तब से आज तक भारत से कभी कोई जापान नही जाना चाहा।