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अगर ओल्ड पेंशन योजना को कांग्रेस भुना लेती है तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है

Political News: क्या ओल्ड पेंशन योजना आगामी लोकसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनेगा ? जिस तरह से प्रियंका गाँधी ने जबलपुर की सभा में पांच गारंटी का ऐलान किया उससे तो यही लगता है कि रेवड़ी बाँटने के इस काल में गारंटी योजना बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाने वाली होगी। प्रियंका के इस गारंटी वादों में एक वादा ओल्ड पेंशन स्कीम का भी ही। उन्होंने कहा है कि अगर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो कांग्रेस की सरकार यह योजना लागू करेगी क्योंकि इसकी मांग सालों से लोग कर रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इस योजना के जरिये कांग्रेस एक बड़े वोट बैंक की तैयारी कर रही है। बता दें कि देश में करीब दस करोड़ पेंशनर हैं जो कई सालों से ओल्ड पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। यह भी बता दें कि अभी तक ये पेंशनर बीजेपी के साथ खड़े रहे हैं और बीजेपी को इसका बड़ा लाभ भी मिलत रहा है।


कांग्रेस ओल्ड पेंशन योजना के जरिये पहले हिमाचल का चुनाव जितने में सफल रही

अब कर्नाटक में भी इसका लाभ कांग्रेस को मिला है। उधर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी इस योजना पर काम चल रहा है। ऐसे में साफ़ तौर पर कहा जा सकता है कि आगामी चुनावों में कांग्रेस इसमुद्दे को बड़े स्तर पर लागू करने की बात करेगी। इससे कांग्रेस को बड़ा लाभ मिलने की सम्भावना जताई जा रही है। बता दें कि पिछले लोक सभा चुनाव में बीजेपी को करीब 23 करोड़ वोट मिले थे जबकि ख़राब हालत में भी कांग्रेस को लगभग 12 करोड़ वोट मिले थे। इसके साथ ही सभी विपक्षी दलों को मिलाकर भी लगभग 11 करोड़ वोट मिले थे। कांग्रेस अभी जिस रणनीति पर काम कर रही है उसमे पहली प्राथमिकता तो विपक्षी एकता की है ताकि बिखड़े वोट एक साथ आ जाये। इस का फायदा यह होगा कि कांग्रेस के लगभग 12 करोड़ वोट के साथ विपक्ष के बिखड़े 11 करोड़ वोट भी साथ आ जायेंगे और फिर ऐसी हालत में वह बीजेपी के मुकाबला में खड़ा हो जाएगी।
कांग्रेस की दूसरी रणनीति अलग से करीब दस करोड़ वोट पाने की है। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहाँ उम्मीद की जा रही है कि लोकसभा चुनाव में इसका लाभ कांग्रेस को मिलेगा।

लेकिन कितना मिलेगा कोई नहीं जनता।

क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कि विधान सभा चुनाव में भले ही जनता कांग्रेस या दुरी पार्टी को जीतते रही है लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत ही हुई है। उदहारण के तौर पर राजस्थान ,मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ के साथ ही कई राज्यों की बात की जा सकती है। पिछले विधान सभा चुनाव में इन राज्यों में कांग्रेस की जीत तो हुई लेकिन साल भर बाद ही हुए लोकसभा चुनाव में लगभग सभी लोकसभा की सीटें बीजेपी के पास चली गई।
कांग्रेस को लग रहा है कि ओल्ड पेंशन योजना के तहत दस करोड़ लोगों को अपने पाले में लाया जा सकता है।

बीजेपी की परेशानी यही से शुरू होती है। बीजेपी को लग रहा है कि इस स्किम का लाभ कांग्रेस उठा सकती है ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी द्वारा चलाई जा रही है नेशनल पेंशन स्किम में बदलाव किया जा सकता है ताकि कांग्रेस के खेल को रोका जा सके।
ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर अब बीजेपी भी सजग हो गई है।

केंद्र में स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा ने कहा है कि पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे की गहराई को बीजेपी नहीं समझ रही है। बीजेपी अभी भी एनपीएस में सुधार की बात करती है। जबकि कर्मचारी संगठन कह चुके हैं कि उन्हें पुरानी पेंशन बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। एनपीएस को समाप्त करना ही पड़ेगा। अब ओपीएस का मुद्दा हर राज्य में पहुँच चुका है। इस बार के कई राज्यों के चुनाव में इसका असर भी दिखेगा। कर्मचारी भी कह चुके हैं कि दस करोड़ कर्मचारी को अनदेखा करके कोई चुनाव नहीं जीत सकता। ऐसे में जो भी पार्टी ओपीएस को लागू करेगी उसकी जीत होगी।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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