Kerala Government Vs President In SC: देश की राजनीति कहाँ जा रही है और मौजूदा सरकार क्या कुछ करती दिख रही है इसकी बानगी केरल में देखने को मिल रही है। अब केरल सरकार के निशाने पर राज्यपाल ही नहीं है। सरकार के निशाने पर राष्ट्रपति भी आ गई हैं। केरल सरकार ने राष्ट्रपति के खिलाफ ही शीर्ष अदालत में शिकायत कर एक अब्दा विवाद ही खड़ा कर दिया है। यह बात और है कि केरल सरकार जिन मुद्दों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहुंची है वह मुद्दा भी काफी विचारणीय है और वाजिब भी।
दरअसल केरल सरकार के कई विधेयक को राज्यपाल लंबित किये हुए हैं। बार -बार केरल सरकार इसकी शिकायत करती है लेकिन राज्यपाल की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया जाता है। अब उन विधेयकों को लेकर ही केरल सरकार ने राष्ट्रपति के खिलाफ भी शिकायत कर डाली है। राष्ट्रपति से भी केरल विधेयकों को लेकर शिकायत की थी लेकिन कोई समाधान नहीं हो सका। लेकिन अब जब राष्ट्रपति के खिलाफ ही केरल सरकार शीर्ष अदालत पहुँच गई है तब यह देखने की बात होगी की अब आगे क्या होगा ?
बता दें कि केरल सरकार ने राष्ट्रपति के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति चार लंबित बिलों को मंजूरी नहीं दे रही है। जबकि इन विधेयकों को राज्य विधान सभा पहले ही पास कर चुकी है। केरल सरकार ने याचिका में जिन चार विधेयकों की चर्चा की है उनमे विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक 2021 ,द केरल सरकार सहकारी सोसाइटी संशोधन विधेयक 2022, विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक 2022 और विश्वविद्यालय कानून संशोधन नंबर तीन विधेयक 2022 है।
केरल सरकार ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि बिन कोई कारण बताये इन बिलों को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया है। सीएम विजयन ने याचिका में केंद्र सरकार ,राष्ट्रपति के सचिव ,केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और उनके अतिरिक्त सचिव को पार्टी ने निशाना बनाया है। याचिका में कहा गया है कि ये सभी बिल केरल सरकार के राज्य अधिकार के क्षेत्र में है। भारत संघ की तरफ से राष्ट्रपति को चार विधेयकों पर बिना कोई कारण बताये अनुमति दी गई सलाह भी मनमानी है और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
यह भी बता दें कि इससे पहले भी केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरबाजा खटखटाया था। तब विजयन सरकार ने राज्यपाल पर आरोप लगाया था कि वे उनके कई बिलो को मंजूरी नहीं दे रहे हैं। जबकि इन बिलो को विधान सभा पास कर चुकी है।