Kisan Protest: शंभू बॉर्डर धरने से पहले पुलिस की छापेमारी, कई किसान नेता हिरासत में, कई हुए अंडरग्राउंड
शंभू बॉर्डर पर 6 मई को प्रस्तावित किसान धरने से पहले पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कई स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई किसानों को धरने से रोकने के उद्देश्य से की गई, जिसमें कई किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया गया, जबकि अन्य नेता भूमिगत हो गए हैं। पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर किसानों में भारी रोष है और उन्होंने विरोध का ऐलान किया है।
Kisan Protest: शंभू बॉर्डर पर 6 मई को प्रस्तावित किसान धरने से पहले पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कई स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई किसानों को धरने से रोकने के उद्देश्य से की गई, जिसमें कई किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया गया, जबकि अन्य नेता भूमिगत हो गए हैं। पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर किसानों में भारी रोष है और उन्होंने विरोध का ऐलान किया है।
यूनियन महासचिव और अन्य नेता हिरासत में
भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के महासचिव रेशम सिंह यात्री ने बताया कि सोमवार तड़के पुलिस ने उनके और अन्य किसान नेताओं के घरों पर छापेमारी की। इस दौरान यूनियन के महासचिव काका सिंह कोटड़ा को पुलिस ने उनके घर से हिरासत में लिया और किसी अज्ञात स्थान पर ले गई। इसी तरह किसान नेता मुख्तयार सिंह राजगढ़ कुब्बे को भी पुलिस ने पकड़ा है।
पुलिस का दबाव
रेशम सिंह यात्री ने आरोप लगाया कि पुलिस ने न केवल नेताओं को गिरफ्तार किया, बल्कि उनके परिवारों को भी डराया और धमकाया। पुलिस की छापेमारी के दौरान यूनियन के जिलाध्यक्ष बलदेव सिंह संदोहा और महासचिव रेशम सिंह यात्री पुलिस के हाथ नहीं लगे क्योंकि वे पहले ही अंडरग्राउंड हो चुके थे। पुलिस भारी बल के साथ उनके घर पहुंची थी, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।
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सरकार और पुलिस पर किसानों का आरोप
किसान नेताओं ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने से पहले भगवंत मान खुद को किसानों का सच्चा हमदर्द बताते थे, लेकिन अब वही सरकार किसानों की आवाज को दबा रही है। किसानों ने स्पष्ट कर दिया कि वे 6 मई को हर हाल में शंभू बॉर्डर थाना परिसर के सामने धरना देंगे, चाहे पुलिस किसी भी हद तक उन्हें रोकने की कोशिश करे।
धरने पर डटे रहने का ऐलान
किसानों ने सरकार को चेताया है कि यदि उन्हें रोका गया तो वे सड़कों पर उतरकर जोरदार विरोध करेंगे। उनका कहना है कि यह आंदोलन केवल किसानों के हकों की लड़ाई है। उन्होंने देशभर के किसानों से आह्वान किया है कि वे इस संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हों।
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