कोशिश तो बीजेपी की यही थी कि सभी राज्यों के क्षत्रपों को इस बार निपटा दिया जाए। खासकर चुनावी राज्यों में पुराने क्षत्रपों से बहार निकलकर बीजेपी चुनाव लाडे .नए नेताओं पर दाव लगाए। पार्टी की जीत सुनिश्चित करे लेकिन संभव नहीं होता दिख रहा है। बीजेपी ने राजस्थान में बहुत कोशिश कि वहां वसुंधरा के दबदबे को ख़त्म कर दिया जाए। पार्टी ने लम्बे समय से उन्हें हाशिये पर भी रखा। बातचीत बंद की। उनके भाव को कमजोर किया। उनकी राजनीति पर हमले किये ,वसुंधरा के लोगों को दरकिनार किये गए। लेकिन यह सब संभव नहीं हो सका। वसुंधरा अपनी जगह खड़ी रही और अंत यही हुआ कि उनके बहुत से लोगों को बीजेपी को टिकट देना पड़ा। बीजेपी नहीं चाहती थी कि इस बार वसुंधरा के चेहरे का इस्तेमाल किया जाये लेकिन राजस्थान का मिजाज ही ऐसा है कि वह वसुंधरा के बिना बीजेपी की राजनीति आगे बढ़ ही नहीं सकती।
बीजेपी की समझ तो यही थी कि इस बार सभी क्षत्रप निपट जायेंगे। – जैसे चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है बीजेपी को घूम फिर कर अपने क्षत्रपों के सामने ही आना पड़ रहा है। पांच राज्यों के अलावा भी किसी भी राज्य क्षत्रपों का महत्व कम नहीं हो रहा है। सच तो यही है कि आने वाले समय में इन प्रादेशिक क्षत्रपों का महत्व और भी बढ़ता जायेगा। लोकसभा चुनाव में भी इनके महत्व बढ़ेंगे।
झारखंड में बीजेपी अब पूरी तरह से बाबूलाल मरांडी पर निर्भर हो गई है। मरांडी के लोगों को भी अब तरजीह दी जाने लगी है। उधर कर्नाटक में फिर से येदियुरप्पा पूरी तरह से संगठन पर नियंत्रण करते जा रहे हैं। यूपी में सबकुछ योगी आदित्यनाथ के हाथ में है। पहले कहा जा रहा था कि यूपी बीजेपी के भीतर काफी गुटबाजी है और खुद योगी जी का ही केंद्र के कई नेताओं से बनती नहीं है। लेकिन अब योगी जी के हाथ में ही सब कुछ सिमटते जा रहा है।
मध्यप्रदेश में भी काफी कुछ होता दिख रहा था। पीएम मोदी तो खुद ही सीएम शिवराज सिंह चौहान का नाम भी नहीं लेते थे लेकिन अब बहुत कुछ बदल रहा है। अब संवाद भी हो रहा है। कई लोग मानकर चल रहे थे कि शिवराज के दिन चले गए। लेकिन अब फिर से शिवराज आगे बढ़ते दिख रहे हैं। जो उम्मीदवार खड़े किये गए है उनमे करीब सौ लोग शिवराज सिंह की पसंद के है।
उधर बीजेपी ने फिर से छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को तरजीह देना शुरू कर दिया है। उन्हें पारम्परिक सीट से तो टिकट मिली ही है अब पूरी तरह से सक्रिय होकर प्रचार भी कर रहे हैं। यह बात और है कि बीजेपी इन तीनो पूर्व सीएम को अबकी बार सीएम उम्मीदवार नहीं बनाया है। लेकिन इनकी सहभागिता को मजबूत किया गया है। कह सकते है कि बीजेपी अगले लोकसभा चुनाव तक सभी क्षत्रपों को लेकर आगे चलेगी।