नरोदा कांड का हत्यारा कौन था ? क्या भूत ने 11 लोगों की जलाकर ह्त्या कर दी थी ?
Gujarat News - News Watch India
News in Gujarat: पिछले दिनों गुजरात की विशेष अदालत ने गुजरात के नरोदा हत्या कांड के सभी 67 आरोपियों को बड़ी कर दिया। जो लोग इन आरोपों के घेरे में थे उनमे बीजेपी की नेता माया कोडनानी ,बजरंग दाल के नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिन्दू परिषद् के जगदीश पटेल जैसे नेता थे। जब कोर्ट से बरी किया गया तो जय श्र्रम के नारे लगे। आरोपियों के घर में खुशियां मनाई गई लेकिन जिन 11 लोगों को जलाकर मार दिया गया था उनके परिजनों ने कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हुए। उनके घर में मातम गया। ऐसे में सवाल है कि 28 फरवरी 2002 के नरोदा गाम दंगे में जिन लोगों की मौत हुई क्या उनकी ह्त्या भूत ने कर दी। कोर्ट ने इस पर कोई बात नहीं कही है। आजाद देश का यह पहला केस है जो 21 सालों तक चलता रहा और लेकिन किसी भी आरोपी को सजा को सजा नहीं हुई। यह भी एक ऐतिहासिक सच है।
बता दें (naroda hatya kand)कि 2002 के गुजरात दंगे के दौरान कुल 9 बड़े दंगे हुए थे। जिनमे गोधरा ,गुलबर्ग सोसाइटी ,नरोदा पाटिया ,बेस्ट बेकरी ,ओडे विलेज और नरोदा गाम के साथ ही दीपड़ा दरबाजा शामिल है। इन सभी दंगो में काफी लोग मारे गए थे लेकिन सरकारी फाइलों में 324 लोगों के नारे जाने जाने की बात कही गई। नरोदा गाम में 11 मुसलमानो को जलाकर मार दिया गया था। गुजरात दंगे की जांच 2009 में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी ने कमान सम्हाली थी। इससे पहले केसों में 154 लोग दोषी करार दिए गए थे और उन्हें उम्र कैद की सजा भी मिली लेकिन 148 बरी भी हो गए। लेकिन नरोदा गाम हत्या कांड का मामला सबसे अंत में आया और सभी बड़ी हो गए। ऐसे में सवाल है कि नरोदा हत्या कांड को अंजाम किसने दिया ? 11 लोगों की हत्या किसने की ?
(crime news update )बता दें कि गुजरात दंगे के बाद इसकी जांच के लिए नानावटी आयोग बनाया गया था। आयोग ने 142 पन्नो की रिपोर्ट तैयार की थी। आयोग की इस रिपोर्ट में नरोदा गाम का भी जिक्र है। आयोग में पुलिस कर्मियों के हवाले से कहा गया है कि जब नरोदा पाटिया दंगा भड़क रहा था उसी समय नोडा गाम से भी दंगा भड़कने की सुचना आयी। नरोदा गाम में बजरंग दाल और विश्व हिन्दू परिषद् के लोग शामिल थे। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि नरोदा गाम में लोग उपद्रवियों की रहम पर जिन्दा थे। हालांकि आयोग ने कोई निष्कर्ष नहीं दिया और कोर्ट का हवाला देते हुए टिप्पणी करने से इंकार कर दिया था। अब जब फैसला आया है तो नानावटी की रिपोर्ट सवाल उठा रही है।
2007 में तहलका स्टिंग ऑपरेशन में बाबू बजरंगी समेत कई आरोपी अपना गुनाह काबुल करते दिखे थे। तब कांग्रेस ने मोदी सरकार से इस्तीफा की मांग की थी। लेकिन अब सब कुछ साफ़ है। नरोदा के सभी आरोपी बरी हो गए। किसी को कोई सजा नहीं। गुजरात सरकार पर कोई कलंक नहीं। कह सकते है कि नोडा गाम में कोई दंगा हुआ ही नहीं। जिन लोगों की ह्त्या की गई वह सब झूठ की कहानी है। ऐसा ही तो हुआ है। कोई सवाल उठा सकता है क्या ?