Nestle India Share: नेस्ले इंडिया के शेयर आज से सस्ता हो गया है। कंपनी ने हाल ही में अपने स्टॉक को स्प्लिट करने का ऐलान किया था। शेयर बाजार में कंपनी की फेस वैल्यू घटकर 1 रुपये प्रति शेयर रह गई है। नेस्ले इंडिया ने जब से शेयर बाजार को स्टॉक स्प्लिट के बारे में बताया था उसके बाद से stock का भाव 19% बढ़ चुका है।
मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया (Nestle India) का शेयर आज से सस्ता हो गया है। नेस्ले के शेयरों के दाम काफी कम हो गए हैं। अब रिटेल इनवेस्टर इसमें आसानी से निवेश कर सकते हैं। कंपनी ने हाल ही में अपने स्टॉक को स्प्लिट करने का ऐलान किया था। नेस्ले के स्टॉक की स्प्लिट की रेकॉर्ड डेट 5 जनवरी 2024 तय की गई थी। नेस्ले इंडिया की गिनती भारत के सबसे महंगे शेयरों में की जाती रही है। अभी तक नेस्ले इंडिया के एक शेयर का भाव 27,116.40 रुपये था। अब इस दिग्गज कंपनी का शेयर 10 टुकड़ों में बंट गया है। आज नेस्ले इंडिया के शेयर 2,668.10 रुपये के स्तर पर बंद हुआ है। BSE में नेस्ले इंडिया का 7 जनवरी यानि रविवार का इंट्रा डे लो लेवल 2644 रुपये प्रति Share रहा है।
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पोर्टफोलियो में बढ़ जाएंगे शेयर
फर्म के शेयर 1:10 के रेश्यो में स्प्लिट हुए हैं। इसका मतलब यह है कि अगर रिकॉर्ड डेट के मुताबिक, आपके पास नेस्ले इंडिया का 1 शेयर है, तो स्प्लिट होने के बाद में आपके पास 10 शेयर हो जाएंगे। वहीं, अगर आपके पास में नेस्ले के 10 शेयर्स हैं तो वह 100 शेयर्स हो जाएंगे। नेस्ले इंडिया के एक शेयर का भाव स्प्लिट से पहले 27,116.40 रुपये के करीब था। यह भारत में छठा सबसे महंगा शेयर था। अब देश में महंगे शेयर सिर्फ MRF लिमिटेड, पेज इंडस्ट्रीज, हनीवेल ऑटोमेशन, 3 M इंडिया और श्री सीमेंट के हैं।
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इस शेयरों के बंटवारे के बाद कंपनी की फेस वैल्यू घटकर 1 रुपये प्रति शेयर रह गई है। कंपनी ने शेयर बाजार को बताया था कि 10 रुपये के फेस वैल्यू वाले एक शेयर को 10 हिस्सों में बांटा जाएगा। इसके लिए रेकॉर्ड डेट 5 जनवरी 2024 तय की गई थी। नेस्ले इंडिया ने जब से शेयर बाजार को स्टॉक स्प्लिट के बारे में बताया था उसके बाद से स्टॉक का भाव 19 फीसदी बढ़ चुका है। शेयर बाजार में कंपनी अपने रेकॉर्ड हाई 2770.75 रुपये के लेवल पर एक जनवरी 2024 को थी। रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी में प्रमोटर्स की शेयर होल्डिंग 60 फीसदी से ज्यादा है। जुलाई से सितंबर तिमाही में म्यूचुअल फंड्स की शेयर होल्डिंग में बदलाव नहीं देखा गया है। वहीं जून और सितंबर के दौरान विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी कम हुई है।