नई दिल्ली: नवरात्रि के आठवें दिन (Navratri Day 8) महागौरी की पूजा की जाती है आठवें दिन महागौरी की पूजा देवी के मूल भाव को दर्शाता है देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां के नौ रूप और 10 महाविद्याएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती ह। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है नवरात्र की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है क्योंकि कई लोग इस दिन कन्या पूजन कर आपना व्रत खोलते है तो आइए जानते है महागौरी की पूजा विधि, कथा और भोग के बारे में।
पूजा विधि
सबसे पहले चौकी पर माता महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें. चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें, और उसी चौकी सात सिंदूर की बिंदी लगाएं की स्थापना भी करें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक और सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी (Navratri Day 8) सहित समस्त स्थापित देवताओं की पूजा करें. तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें, और अगर आपके घर अष्टमी (Navratri Day 8) पूजी जाती है तो, आप पूजा के बाद कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं।
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मां महागौरी की कथा
देवीभागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती अपनी तपस्या के दौरान केवल कंदमूल फल और पत्तों का आहार करती थीं।बाद में माता केवल वायु पीकर ही तप करना आरंभ कर दिया था तपस्या से माता पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ है और इससे उनका नाम महागौरी पड़ा। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको गंगा में स्नान करने के लिए कहा जिस समय माता पार्वती गंगा में स्नान करने गईं, तब देवी का एक एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुई, जो कौशिकी कहलाई और एक स्वारूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, महागौरा कहलाई मां गौरी अपने भक्त का कल्याण करती है और उनकों सभी समस्याओ से मुक्ती दिलाती है।
मां महागौरी को लगाए भोग
अष्टमी तिथि (Navratri Day 8) के दिन मां महागौरी को नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। भोग लगाने के बाद नारियल को ब्राह्मण को दे दें और प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांट दें। जो जातक आज के दिन कन्या पूजन करते हैं, वह हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने का प्रसाद माता (Navratri Day 8) को लगाते हैं और फिर कन्या पूजन करते हैं। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की संख्या 9 हो तो अति उत्तम, नहीं तो दो कन्याओं के साथ भी पूजा की जा सकती है।