Bihar Politics News: पिछले दिनों जब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) कोलकाता जाकर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से मिल रहे थे तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीतीश के सामने एक आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि वह विपक्षी एकता के साथ तो है ही लेकिन उन्हें ख़ुशी होगी कि जिस तरह से जेपी आंदोलन की शुरुआत पटना से हुई थी ठीक उसी तरह से विपक्षी एकता की शुरुआत भी पटना से हो। ममता का यह एक बड़ा मैसेज था। मैसेज यही था कि नीतीश कुमार सभी विपक्षी नेताओं को पहले पटना में बुलाएं और शुरुआती बातचीत हो। अब जब राजद प्रमुख लालू यादव (Lalu Yadav)भी पटना पहुँच गए है तो नीतीश कुमार ने यह सन्देश दिया है कि पटना में विपक्षी एकता की बैठक हो सकती है। जदयू (JDU)के एक नेता ने कहा है कि पटना में विपक्षी एकता की बैठक हो सकती है ताकि सभी नेता मिलकर आगे की चर्चा कर सकें। जदयू नेता के इस बयान के बाद इस बात की सम्भावना बढ़ गई है कि कर्नाटक चुनाव के बाद पटना में विपक्षी नेताओं का जमघट लग सकता है।
उधर नीतीश ने कहा है कि हम निश्चित रूप से एक बैठक करेंगे तकि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) को हराने के लिए सभी विपक्षी दलों के साथ बातचीत की जा सके। इस बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा होगी और संभव है कि एकता का रोड मैप भी तैयार होगा। नीतीश कुमार ने कहा है कि वर्तमान में कुछ नेता कर्नाटक के चुनाव में लगे हैं एक बार यह ख़त्म हो जाए तो हम अपनी बैठक के स्थान को अंतिम रूप देंगे। अगर सभी लोग पटना को बैठक के लिए चुनेंगे तो बैठक पटना में ही होगी। पटना में यह बैठक होती है तो हमें भी ख़ुशी होगी। बता दें कि ममता ने नीतीश के साथ बैठक में कहा था कि मैं नीतीश कुमार से यही अनुरोध करती हूँ कि जयप्रकाश जी का आंदोलन पटना से हुआ था और अगर बिहार में सर्वदलीय बैठक होती है तो हम तय कर सकते हैं कि हमें आगे किस दिशा में जाना है। तब नीतीश ने यह स्वीकार करते हुए कहा था कि हम इस पर विचार करेंगे।
नीतीश के आज के बयान के बाद अब साफ़ हो गया है कि पटना में विपक्षी एकता की बैठक हो सकती है। इस बैठक के लिए कांग्रेस से भी अनुमति मिल सकती है और कहा जा रहा है कि विपक्ष के बहुत से नेता पटना की बैठक के लिए सहमत भी हो रहे हैं। ऐसे में एक बात यह साफ़ है कि जिस तरह से जेपी ने अन्दोअल की शरुआत कर कांग्रेस को सत्ता से हटाया था अब वही खेल पटना से शुरू होकर बीजेपी को हटाने पर समाप्त हो सकती है। बदले राजनीति माहौल में विपक्ष को इस खेल में सफलता कितनी मिलती है इसे देखना बाकी है लेकिन बात साफ़ है कि आगामी चुनाव बीजेपी के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं है।