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Pahalgam Terrorist Attack: पाकिस्तान को होगा पहलगाम पर पछतावा, सिंधु नदी के रोके जाने के बाद, भारत ने हजारों मेगावाट बिजली का उत्पादन किया शुरू

सिंधु जल संधि के अनुसार, भारत को कोई भी नई परियोजना शुरू करने से पहले पाकिस्तान को छह महीने का नोटिस देना ज़रूरी था, लेकिन अब संधि के निलंबित होने के बाद ऐसा करना ज़रूरी नहीं रह गया है। साथ ही, डेटा शेयर करने की भी कोई बाध्यता नहीं है। ऐसे में भारत मौके का फ़ायदा उठाते हुए कश्मीर में कई हज़ार मेगावाट बिजली पैदा करने की योजना बना रहा है।

Pahalgam Terrorist Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार लगातार पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। सबसे बड़ा फैसला सिंधु जल संधि को निलंबित करना रहा, जिसके बाद पड़ोसी देश में हालात खराब होते जा रहे हैं। दोनों के बीच दबाव भी बढ़ता जा रहा है। यह फैसला भारत के हित में इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि संधि को निलंबित करने के बाद देश में रुकी हुई पनबिजली परियोजनाओं को गति देने की कोशिश की जाएगी।

सिंधु जल संधि स्थगित होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल के बीच दो अहम बैठकें हो चुकी हैं। इस सप्ताह गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक और अहम बैठक होने की उम्मीद है।

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इस अहम बैठक में कई अन्य मंत्रालय भी होंगे शामिल

इस सप्ताह होने वाली बैठक में विदेश, ऊर्जा, कृषि जैसे कुछ अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री और अधिकारी भी शामिल होने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में रुकी हुई जलविद्युत परियोजनाओं के साथ-साथ सिंधु जल संधि के निलंबन से प्रभावित होने वाली परियोजनाओं का ब्योरा मांगा था।

पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण स्थिति के बीच भारत जम्मू-कश्मीर में रुकी हुई जलविद्युत परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। सिंधु जल संधि के निलंबन से ऐसी परियोजनाओं में तेजी आएगी। पिछले चार सालों से ऐसी कई परियोजनाएं रुकी हुई हैं।

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सिंधु जल संधि को निलंबित करना हो सकता है फायदेमंद

सिंधु जल संधि के अनुसार, भारत को कोई भी नई परियोजना शुरू करने से पहले पाकिस्तान को छह महीने का नोटिस देना जरूरी था, लेकिन अब संधि के निलंबित होने के बाद ऐसा करना जरूरी नहीं रह गया है। साथ ही, अब डेटा साझा करने की बाध्यता भी नहीं है।

अब बदले हालात में चिनाब और झेलम पर नई परियोजनाएं बनाना और वुलर झील को पुनर्जीवित करना संभव हो सकेगा। सिंधु जल संधि इस काम में आड़े आ रही थी। माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में कम से कम 6 पनबिजली परियोजनाओं पर काम में तेजी आने की उम्मीद है।

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10 हजार मेगावाट बिजली पैदा होने की संभावना

इन जलविद्युत परियोजनाओं में चेनाब नदी पर बन रही सावलकोट परियोजना (1,856 मेगावाट), जम्मू-कश्मीर के रामबन और उधमपुर जिलों में प्रस्तावित पाकल दुल (1,000 मेगावाट) परियोजना के साथ-साथ रतले (850 मेगावाट), बुरसर (800 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट), किरथाई-I और II (कुल 1,320 मेगावाट) परियोजनाएं शामिल हैं।

ऐसी परियोजनाओं से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 10 हजार मेगावाट तक बिजली पैदा होने की संभावना है। साथ ही, मैदानी इलाकों में सिंचाई और पीने के पानी की उपलब्धता कई गुना बढ़ सकती है।

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