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मंगलवार से संसद की कार्यवाही नए भवन से होगी, भावुक हुए पक्ष विपक्ष के नेता !

New Parliament: यह भी एक ऐतिहासिक क्षण ही है जब भारतीय संसद (Parliament) की अब कार्यवाही पुराने भवन से नए भवन में शिफ्ट को तैयारी हो गई है । संसद का नया भवन अब संसदीय कार्यवाही के लिए पूरी तरह से तैयार है। मंगलवार से नए भवन में ही विशेष सत्र को कार्यवाही चलेगी। लेकिन पुराने भवन को याद और उस भवन को यादों को भला कौन भुला सकता है। आजादी के बाद से आजतक उसी भवन में संसद की कार्यवाही चलती रही है। देश को आज बढ़ने के लिए न जाने कितने कानून उसी भवन में बनाए गए। एक से बढ़कर एक नेताओं की मंडली उड़ी भवन में देखने को मिली । बड़े-बड़े नेताओं के बीच वार्ता और बहस का गवाह रहा है संसद का पुराना भवन। उसी भवन में नेहरू और लोहिया के बीच भिड़ंत होती थी। उसी भवन में पंचवर्षीय योजनाओं पर चर्चा होती थी और उसी भवन में बांग्लादेश निर्माण पर भी चर्चा हुई। भारत-चीन सुर पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों की भी चर्चा वहीं हुई थी । परमाणु परीक्षण से लेकर चंद्रयान और मंगलयान की तैयारी उसी भवन से हुई। फिर उस भवन को कोई कैसे भुल सकता है ।

special session of Parliament

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उसी भवन में नई आर्थिक नीति को नींव डाली गई। उसी भवन में पर आतंकी हमले भी हुए लेकिन हमारा देश एकजुट रहा।लोकतंत्र लगातार मजबूत होते चला गया। लेकिन मंगलवार से संसद (Parliament) का वह पुराना भवन अब केवल इतिहास बनकर रह जाएगा । अब से नए भवन में संसद चलेगी तब सत्ता पक्ष और विपक्ष भावुक हो रहे हैं। उस भवन को यादों का बखान कर रहे हैं।

विशेष सत्र पर कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि अब स्पष्ट हुआ कि केंद्र सरकार इस स्थानांतरण को विशेष क्षण बनाना चाहती थी। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ”वैसे यह इमारत यादों से भरी है जैसा कि पीएम ने भी कहा, यह इतिहास से भरा है। यह एक दुखद क्षण होगा। आशा करते हैं कि नई इमारत में संसद सदस्यों के लिए बेहतर सुविधाएं, नई तकनीक और अधिक सुविधा होगी। लेकिन फिर भी, ऐसे संस्थान को छोड़ना हमेशा एक भावनात्मक क्षण होता है जो इतिहास और यादों से भरा हो।” उन्होंने आगे कहा है “हम सभी थोड़ा भ्रमित थे कि यह क्यों आवश्यक था क्योंकि कई तरीकों से, कई बिलों के बारे में वे बात कर रहे थे जिन्हें बाद में पेश किया जा सकता था। लेकिन अब यह स्पष्ट हो रहा है कि सरकार एक इमारत से दूसरी इमारत में स्थानांतरण को एक विशेष क्षण बनाना चाहती थी। उन्होंने इसे खास तरीके से करने की कोशिश की है। हम वहां के उद्देश्य को समझ सकते हैं।”

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “… आज इस (पुराने) संसद भवन (Parliament) से बाहर निकलना हम सभी के लिए वास्तव में एक भावनात्मक क्षण है। हम सभी अपनी पुरानी इमारत को अलविदा कहने के लिए यहां मौजूद हैं। पंडित नेहरू ने कहा था कि संसदीय लोकतंत्र कई गुणों की मांग करता है, इसके लिए क्षमता, कार्य के प्रति समर्पण और आत्म-अनुशासन की आवश्यकता होती है।

“हालांकि, उन्हें (पंडित नेहरू) संसद में भारी बहुमत प्राप्त था, फिर भी वे विपक्ष की आवाज़ सुनने में अथक थे और सवालों का जवाब देते समय कभी भी मज़ाक नहीं उड़ाया या टाल-मटोल नहीं किया। यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू जब संसद में भाषण देते समय अपनी समय सीमा पार कर जाते थे तो उनके लिए स्पीकर की घंटी बजती थी, इससे पता चलता है कि संसद के अपमान से परे कोई नहीं है। यह भारत में संसदीय लोकतंत्र के विकास में नेहरू का योगदान था।”

भाजपा सांसद जी किशन रेड्डी ने कहा, “पीएम मोदी ने पुराने संसद भवन (Parliament) और पिछले 75 साल में भारत के सफर के बारे में बात की। नए संसद भवन का अपना महत्व है। स्टाफ बढ़ गया है और नई गतिविधियाँ हो रही हैं। यह हमारे लिए सौभाग्य की घटना है।”

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी कहती हैं, ”जैसा कि पीएम मोदी ने कहा था कि बदलाव जीवन का हिस्सा है इस बदलाव में जैसे-जैसे समय बीतता है, इमारतें और लोग भी बदलते हैं। इस पुरानी इमारत (संसद की) में बहुत पुरानी इमारत है हमने यहां अनुच्छेद 370 को हटाए जाने, जीएसटी लागू होते देखा। इस जगह से कई यादें जुड़ी होंगी। नए संसद भवन से नई यादें जुड़ी होंगी।”

एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने कहा, ”इस संसद के इतिहास पर चर्चा के लिए घंटे, दिन और महीने कम पड़ जाएंगे। लेकिन फिर भी हमारे प्रधानमंत्री ने संसद की 75 साल की यात्रा का संक्षेप में कितना सुंदर वर्णन किया। उन्होंने न केवल प्रधानमंत्रियों बल्कि संसद के सुचारू संचालन में योगदान देने वाले हर वर्ग के बारे में बात की।”

Akhilesh Akhil

Political Editor

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