Politics News: कांग्रेस ने एक बार फिर से मोदी सरकार को घेरे में लेते हुए हमला किया है और कहा है कि मौजूदा मोदी सरकार के चार साल गुजर गए लेकिन लोकसभा में आज भी डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति नहीं की गई। यह पहली बार है जब इस तरह का नजारा देखने को मिल रहा है। कांग्रेस नेता जयरमेश ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मसले पर संज्ञान लिया था और सरकार से इस मसले पर जवाब मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 93 का उलंघन है लेकिन मोदी सरकार ने आज तक डिप्टी स्पीक की नियुक्ति नहीं की। बता दें कि अभी तक के चलन के मुताबिक डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलता रहा है।
आज जयराम रमेश ने इस मसले को उठाते हुए ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि ”पिछले चार सालों से लोकसभा में कोई डिप्टी स्पीकर नहीं है। यह असंवैधानिक है। ” रमेश ने कुछ उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब विपक्ष न के बराबर था फिर भी पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू ने डिप्टी स्पीकर के लिए विपक्ष के नेता के नाम का प्रस्ताव किया था। रमेश ने कहा कि 1956 के चुनाव में नेहरू ने हुकुम सिंह का नाम आगे बढ़ाया और उन्हें डिप्टी स्पीकर बनाया भी गया। सब जानते थे कि हुकुम सिंह नेहरू के खिलाफ हैं। लेकिन सर्वसम्मति से यह सब हुआ। सरदार हुकुम सिंह तब अकाली दल के सांसद थे और प्रमुख वक्ता के साथ ही नेहरू के आलोचक भी। लेकिन आज चार साल गुजर जाने के बाद भी कोई डिप्टी स्पीकर का लोकसभा ने नियुक्त नहीं होना बहुत कुछ कहता है। यह संविधान का उलंघन ही तो है। जबकि सुप्रीम कोर्ट भी इस मसले पर सरकार से सवाल कर चुका है।
बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 93 यही कहता है कि लोकसभा सबसे पहले स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को चुनेगी। यह चुनाव सदन के सदस्यों के बीच ही होनी है। आगे यह भी कहा गया है कि अगर स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का पद किसी वजह से रिक्त हो जाता है तब अन्य सदस्यों को सभा इस पद के लिए चुनेगी .बता दें कि लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद 2019 जून से ही खाली है।
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गौरतलब है कि सदन के भीतर अधिकतर चीजे तो नियम के मुताबिक ही चलती है जबकि कुछ चीजें परम्परा के अनुसार आगे बढ़ती रही है। दसवीं लोकसभा से इस बात की परम्परा रही कि डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति विपक्ष के तरफ से की जाए। 1991 से यह परमपरा चल भी रही थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस परम्परा को खंडित किया गया। जानकार कह रहे हैं कि भले ही मौजूदा सरकार परंपरा पर न चले लेकिन डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति तो संविधान से जुडी हुई है। आश्चर्य है कि सरकार कर रही है। दरअसल बीजेपी नहीं चाहती कि कांग्रेस का कोई नेता डिप्टी स्पीकर बने। और बाकी दलों से उसे कोई डर भी नहीं। सच तो यही है कि बाकी दल इसको लेकर कोई सवाल भी नहीं उठा सकता।Read: Latest Karnataka Politics News and Updates at News Watch India