पंजाब-हरियाणा समाचार (Punjab and Haryana News)! पंजाब-हरियाणा (Punjab- Haryana) हाई कोर्ट में एक महिला की दायर याचिका पर सुनवाई होनी है। हाई कोर्ट ने मामले में हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। सरकारी नौकरी में नियमों को लेकर यह विवाद उठा है। भिवानी की रहने वाली महिला को सामाजिक आर्थिक मानदंडों के तहत अतिरिक्त अंक नहीं दिए गए।
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ( High court) के सामने सरकारी नौकरी में के नियमों को लेकर एक मामला आया है। सरकार के नियम पर पेंच फंस गया है, जिस पर अब हाई कोर्ट फैसला करेगा। हाई कोर्ट डिसाइड करेगा कि ऐसे परिवार में शादी करने वाली महिला जहां किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है, वह हरियाणा (Haryana) में ग्रुप C के पद के लिए आवेदन करते समय सामाजिक आर्थिक मानदंडों के तहत अतिरिक्त अंकों की हकदार है या नहीं। सुनवाई भिवानी की एक महिला की ओर से दायर याचिक पर होनी है।
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महिला ने हरियाणा में ग्रुप C की सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया था। इसके तहत उसने दावा किया था कि उसकी शादी जिस परिवार में हुई है, वहां कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है, इसलिए उसे सामाजिक आर्थिक मानदंडों के तहत एक्स्ट्रा मार्क्स ( extra marks) दिए जाएं।
आयोग ने खारिज किया आवेदन
महिला का आवेदन आयोग ने रिजेक्ट कर दिया। इसके बाद महिला ने अस्वीकृति को हाई कोर्ट में चुनौती दी। महिला की याचिका पर, न्यायमूर्ति दहिया ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर उसका जवाब मांगा और मामले को 13 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दिया।
मिलते हैं 5 पर्सेंट मार्क्स
हरियाणा सरकार के नियम सामाजिक-आर्थिक मानदंडों के तहत आवेदकों को अतिरिक्त 5% अंकों का पुरस्कार प्रदान करते हैं, अगर उनके परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है और उनकी वार्षिक पारिवारिक आय 1.8 लाख रुपये से अधिक नहीं है।
मां करती हैं सरकारी नौकरी
सविता देवी ने तर्क दिया कि उनकी उम्मीदवारी को इस आधार पर गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था कि उन्होंने 5% अंकों का दावा करने के लिए गलत जानकारी दी थी-कि उनके किसी भी रिश्तेदार के पास सरकारी नौकरी नहीं थी। अधिकारियों ने दावा किया कि उसकी मां सरकारी नौकरी करती थी।
क्या है नियम
हालांकि, याचिकाकर्ता ने बताया कि राज्य की अधिसूचना के मुताबिक, एक विवाहित महिला के परिवार में वह, उसका पति, ससुर, सास और बच्चे शामिल हैं। यह दावा करते हुए कि उसने शादी के बाद नौकरी के लिए आवेदन किया था, याचिकाकर्ता ने बताया कि एक बार जब वह अपने वैवाहिक घर चली गई थी, तो उसे लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।