Rajasthan Election 2023: पांच राज्यों का अंतिम चुनाव 30 तारीख को ख़त्म हो जायेगा। तेलंगाना का चुनाव 30 तारीख को है। बीजेपी ,कांग्रेस और बीआरएस में सत्ता पर काबिज होने की होड़ लगी हुई है। कोई भी दल चुकने को तैयार नहीं। उधर बाकि के चार राज्यों में जहां चुनाव संपन्न हो गए हैं सबके अपने -अपने दावे हैं। 2018 के इन्हीं पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। राजस्थान ,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार हुई थी और कांग्रेस के हाथ में सत्ता चली गई थी। तब बीजेपी में रुदाली थी और कांग्रेस के भीतर खुशहाली का वातावरण था। लेकिन डेढ़ साल के बाद ही मध्यप्रदेश में ऑपरेशन कमल चला और कमलनाथ की अगुवाई वाली सरकार मध्यप्रदेश में गिर गई। सिंधिया ने बीजेपी का साथ दिया और सिंधिया खुद भी बीजेपी में चले गए और अपने समर्थकों को भी अपने साथ बुला लिया। कमलनाथ की सरकार चली गई।
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लेकिन इस बार क्या होगा यह तो तीन तारीख को ही पता चलेगा। तीन दिसंबर को पांचों राज्यों के परिणाम सामने आएंगे। बीजेपी का दावा तो यही है कि सभी राज्यों में उसकी सरकार बनेगी। पीएम मोदी के इकबाल के सहारे ही बीजेपी सत्ता में लौटेगी। लेकिन क्या यह संभव है ? इसके बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। उधर कांग्रेस को खुद पर बहुत ही यकीन है। राहुल गाँधी की अगुवाई में कांग्रेस ने इस बार पांच राज्यों के चुनाव में काफी मेहनत किया है। पहली बार काफी समय के बाद कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। उसकी भी अपनी आशाएं है। कांग्रेस का भी दवा है कि चार राज्यों में उसकी सरकार बनेगी। राजस्थान को कांग्रेस असमंजस में है। वहां कांग्रेस जीत भी सकती है और हार भी सकती है।
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जहाँ तक राजस्थान की बात है वहां पांच साल पर सत्ता बदलने का चलन रहा है। एक टर्म बीजेपी रहती आई है तो दूसरे टर्म में कांग्रेस सत्ता में लौटती रही है। लेकिन इस बार अशोक गहलोत रिवाज तोड़ने को तैयार है। उन्होंने काम तो खूब किया है लेकिन जनता के मिजाज को कौन जाने! कांग्रेस ने पूरी ताकत के साथ चुनाव की तैयारी भी की और चुनाव में बेहतर काम भी किया ,उधर बीजेपी ने भी पूरी ताकत को लगाया। उसकी उम्मीद भी जाग रही है। लेकिन राजस्थान में इस बार रिवाज बदलने और रिवाज कायम रहने की लड़ाई हो गई है। क्या होगा कोई जनता। मतदान प्रतिशत को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।अक्सर यह देखा गया है कि जब राजस्थान में मत प्रतिशत बढ़ता है तो बीजेपी की जीत होती है ,कई चुनाव का यही ट्रेंड रहा है। जब मतदान का प्रतिशत कम होता है या स्थिर रहता है तो कांग्रेस की जीत होती है। इस गणित को आजतक कोई समझ नहीं पाया। कहा जाता है कि जब भी मतदान प्रतिशत बढ़ते हैं तो सत्ता बदलने की बात हो जाती है। इस हिसाब से बीजेपी के हाथ में सत्ता जा सकती है। लेकिन राजस्थान में यह सब तभी होता जब कांग्रेस सत्ता में होती है। जब बीजेपी सत्ता में होती है तो बदलाव के लिए ज्यादा मतदान की जरूरत नहीं होती। कम मतदान पर भी बीजेपी हार जाती है।
पिछली बार 74 फीसदी मतदान हुए थे और बीजेपी हर गई थी। इस बार भी मतदान कोई ज्यादा नहीं है लेकिन 74 फीसदी से ज्यादा है। इसलिए रिवाज की बात करें तो बीजेपी की उम्मीद सत्ता में आने की बढ़ गई है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि जब सात से आठ फीसदी ज्यादा मतदान होने पर ही राजस्थान की सत्ता बदलती है। ऐसे में कांग्रेस की उम्मीद भी सत्ता में लौटने की बनी हुई है। अंतिम तौर पर क्या होगा यह तो तीन दिसंबर को ही पता चलेगा। सत्ता के लोग भी बैठी बीजेपी और कांग्रेस अभी सस्पेंस में जी रही है।