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Russia Crude Oil: रूस बना भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा निर्यातक, डेटा आते ही अमेरिका में मचा हड़कंप

डिजिटल इकोनॉमी से लेकर लगभग हर क्षेत्र (Russia Crude Oil) में भारत अमेरिका का आगामी सबसे बड़ा प्रतिद्ंदी है. वहीं इसी बीच खबर आयी है कि रूस ही भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है. जिसके चलते अमेरिका में खलबली मच गयी है. घबराकर अमेरिका ने कुछ ऐसा कर दिया है कि अब जवाब देते नहीं बन रहा.

नई दिल्ली: डिजिटल इकोनॉमी से लेकर लगभग हर क्षेत्र (Russia Crude Oil) में भारत अमेरिका का आगामी सबसे बड़ा प्रतिद्ंदी है. वहीं इसी बीच खबर आयी है कि रूस ही भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है. जिसके चलते अमेरिका में खलबली मच गयी है. घबराकर अमेरिका ने कुछ ऐसा कर दिया है कि अब जवाब देते नहीं बन रहा. क्या है पूरा मामला रिपोर्ट में देखिए…

अमेरिका अपने बैंकों को कह रहा…

दरअसल, ब्लूमबर्ग की ओर से एक खबर है कि अमेरिका अपने बैंकों को कह रहा है कि रूस में चुपचाप काम करते रहो. चाहे हम रोक लगा दें फिर भी काम करते रहो, और अमेरिका के इस तरह के फैसलों की खबर उस वक्त आयी है.जब हमारे विदेशमंत्री एस जयशंकर रुस के दौरे पर रहे. तो अब सवाल आता है कि अमेरिका को किस बात का डर सता रहा है जो उसने अन्य सभी देशों के साथ ऐसा धोखा किया है.

क्योंकि सभी जनते हैं कि रुस के खिलाफ खड़े होने वाले देशों का मुखिया अमेरिका ही है. अमेरिका-रूस के बीच जमकर तनातनी जारी है. और इस सबके बीच भारत पर भी रूस का विरोध करने का दबाव बनाया गया था. लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि रूस ही भारत का सच्चा साझेदार है, और भारत हर परिस्थिति में रुस के साथ है.

रूस भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा निर्यातक बना

अब इसी बीच रूस भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया जिसकी वजह से अमेरिका को डर सता रहा है कि भारत जो कभी तेल के आयातकों में 11वें-12वें नंबर पर आता था. पहले स्थान पर आ चुका है. ये देखकर बाकी के देश भी ऐसा करना शुरू कर सकते हैं. लेकिन यहां बात सिर्फ इतनी सी नहीं है.

क्योकि केवल तेल से फर्क नहीं पड़ता. बल्कि अमेरिका को फर्क इस बात से पड़ रहा है कि उसने इस काम पर रोक लगाने के लिए डॉलर्स पर रोक लगा दी थी. यानि अमेरिका ने पूरी कोशिश की थी कि अगर कोई रशिया से तेल खरीदे तो वो रशिया को पेमेंट वापस ना कर पाए.

तो यहां पर बात ये है कि अगर भारत की तरफ से इतना तेल लिया जाता है कि रशिया सबसे बड़ा सप्लायर बन जाता है तो बाकी देश भी ये देख रहे हैं कि डॉलर के बिना भी तेल खरीदा जा सकता है. और ये सिचुएशन अमेरिकी के लिए बहोत घातक हो सकती है. अगर पूरा विश्व धीरे-धीरे डॉलर के बजाए दूसरी करेंसी का इस्तेमाल करने लगेगा, और अगर डॉलर की कीमत नहीं रह गयी. तो अमेरिका की संपत्ति खत्म हो जाएगी. अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी.

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दूसरे देशों से तेल खरीदना पड़ा महंगा

वहीं यहां पर एक और ध्यान देने वाली बात है कि इस क्राइसेस के बीच जिस हिसाब से पूरी दुनिया की करेंसी गिरी है. रूपये में उस मुकाबले गिरावट नहीं आई है. वहीं अमेरिका के डॉलर के प्रतिबंध के चलते सभी देशों को दूसरे देशों से तेल खरीदना काफी महंगा पड़ रहा है. शुरूआत से अमेरिका समृद्ध होता जा ,रहा है…लेकिन अब लोगों का ध्यान भारत की ओर आकर्षित हो रहा है.

वहीं अमेरिका की दबी रणनीतियों के चलते यूरोपीय देश काफी है हैरान हैं. क्योंकि भारत ने जो भी किया है. शुरुआत से ही डंके की चोट पर किया. पूरी दुनिया के सामने रूस के साथ ख़ड़ा रहा. लेकिन अमेरिका ने जो इन देशों के साथ किया है. ये निश्चित रपस से अमेरिका का कपट है जो दुनिया के सामने आ रहा है. और अब इस बवाल का जवाब देना अमेरिका के लिए मुश्किल होता जा रहा है.

क्योंकि रूस और यूक्रेन युध्द क्राइसेस में सभी यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था डगमगाई लेकिन उन्होंने ने अमेरिका के कहने पर रूस पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए. लेकिन अब जब बात अमेरिका के ऊपर आयी तो अमेरिका इन देशों के साथ ऐसा खेल खेल रहा है. वहीं भारत अपने स्पष्ट मत के साथ विश्वभर में मुखर होकर सामने आ रहा है.

अमेरिका जो शुरूआत से ही रूस को गीदड़ भबकी दिखा रहा था. जिसके चलते अमेरिका के नक्शे कदम पर चलते हुए तमाम यूरोपीय देशों को अब मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अमेरिका अपना उल्लू सीधा करने में लगा है. और आने वाला वक्त बताएगा कि अमेरिका का ये छल उन देशों पर क्या छाप छोड़ता है.

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Neetu Pandey

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