Harela Festival of Uttarakhand: समूचे देश में सावन महोत्सव की धूम है। सबको पता है कि देश में सावन महीने का आगाज 4 जुलाई को हुआ था। सावन के महीने में प्रकृति की अलग ही छटा देखने को मिलती है। इस महीने में हरियाली ऐसे खिलखिलाती है जैसे कोई नवजात शिशु हो। प्रकृति का नजारा इतना सुंदर होता है। हर तरफ हरियाली की लहर दिखाई पड़ती है। लेकिन क्या आप जानते है कि इसी देश में एक ऐसा भी राज्य है जहां सावन पूरे 15 दिन बाद शुरू रहा है। तो चलिए आपको बताते है कि वो कौन सा राज्य है जहां इतने देर से सावन की शुरुआत हो रही है और इसके पीछे की वजह क्या है और ये हरेला पर्व क्या होता है…
पूरे देश में 4 जुलाई को सावन की शुरुआत हो गई थी तो वहीं आज उत्तराखंड में लोक पर्व हरेला, राज्य में 17 जुलाई, 2023 यानी की आज से शुरू हो रहा है। यहां आज से ही सावन की शुरुआत हो रहा है और आज ही उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला भी मनाया जा रहा है।
हरेला त्योहार ऐसा है जो अपने नाम से ही जाना जाता है। हरेला त्योहार प्रकृति से जुड़ा है। हरेला के दिन सभी प्रकृति की पूजा होती है। इस दिन पहाड़ में रहने वाले सभी किसान अपने परिवार के साथ हरेला के पौधों को काटकर देवी- देवताओं को समर्पित करते हैं। साथ ही पेड़ों की भी पूजा करते है। मान्यता अनुसार इस दिन हरेला के पेड़ों को काटकर देवी-देवताओं के चरणों में सौपने से शुभ फल मिलता है। साथ ही साथ अच्छी फसल उगाने के लिए ईष्ट देवी- देवताओं से कमाना भी करते हैं।
उत्तराखंड में हरेला के पेड़ को बहुत मायने दिया जाता है। कई पहाड़ी गांव में सामूहिक रूप से भी हरेला बोया और काटा जाता है। इस हरियाली को काटने के बाद इसे अपने पास के किसी भी स्थानीय मंदिर में जाकर भगवान से कामना की जाती है। इनता ही नहीं इस पेड़ को लेकर ये भी मान्यता है कि हेरला का पेड़ जितना बड़ा होगा, खेती उतनी ही अच्छी होगी। ये पर्व साल में पूरे 3 बार मनाया जाता है। लेकिन इस त्योहार का सबसे ज्यादा महत्व सावन महीने में होता है।