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विपक्ष को भ्रष्ट दिखाने और हिंदुत्व के सहारे राजनीति को साधती बीजेपी

Political News BJP VS Congress: इस देश में कौन सच्चा है और गलत है और फिर कौन भ्रष्ट है और कौन ईमानदार है इसके बारे में राजनेताओं ( Politicians )के बयान जनता को नहीं सुहाते। जनता अब भ्रमित नहीं होती। जनता को सब कुछ पता है लेकिन वह विवश भी है। जनता की परेशानी यही है कि आखिर वह जाए कहाँ ? यही वजह है कि देस की अधिकतर जनता सब कुछ जानते हुए भी कभी धर्म के नाम पर तो कभी जाति के नाम पर किसी भी पार्टी का समर्थन कर रही है। इसी समर्थन को राजनीतिक पार्टियां अपना वोट बैंक मानती है लेकिन जब जनता अपना पाला बदलती है तो पार्टियों का खेल खराब हो जाता है। राजनीतिक दलों का सबसे यही है कि चाहे जैसे भी हो जनता को अपने साथ जोड़े रखना है।


पार्टियां इस बात को लेकर ज्यादा रिसर्च करती हैं कि कैसे किसी के भावना के साथ खेला जाए। किस बात को लेकर जनता जय आकर्षित हो सकती है और कौन सा मुद्दा जनता को ज्यादा पसंद है ? जो मुद्दा जनता ज्यादा पसंद करती है पार्टियां उस मुद्दे को कई तरह से जनता के सामने रखने का काम करती है। इन्ही मुद्दों में धर्म की कहानी है। हिंदुत्व ( HIndutva ) का मुद्दा है। हिन्दू और मुसलमान ( Play Of Hindu and Musalaman )का खेल है और कथित विकास के दावों के साथ विदेशी राजनीति ( Foreign politics ) में भारत के बढ़ते दबदबे की कहानी है। जो मुद्दा जिसको बेहतर लगे ,वही सही। लेकिन देश की माली हालत तो यही है कि इस देश के भीतर जो जरुरी है उस पर कोई नहीं बोलता। जो बोलता है वह निशाने पर आता है और यह सब जनता की वजह से ही संभव होता जा रहा है। जनता नेताओं की ताकत होती है। जिसके पास जितना वोटर लोकतंत्र का वही मालिक।


हालिया पांच राज्यों के चुनाव ( Election ) में बीजेपी तीन हिंदी राज्यों में जीत गई। इसकी कल्पना बीजेपी को भी नहीं थी। बीजेपी को लगा जनता आज भी उसके साथ है। और यह सच भी है। जब तमाम गलत काम करने के बाद भी किसी को जीत हासिल होती हो और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती हो तो उसका घमंड तो बढ़ेगा ही। पहले यह माना जाता था कि पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी की हार के बाद जांच एजेंसियों का खेल कमजोर हो सकता है। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बीजेपी तीन बड़े राज्यों में जीत गई और जांच एजेंसियों का खेल अब पहले से भी ज्यादा बढ़ गया।
जांच एजेंसियों के रडार पर अब हिंदी पट्टी के तीन राज्य हैं। बिहार में लालू यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव (Tejshavi yada ) नौकरी के बदले जमीन मामले में जाँच एजेंसी के रडार पर हैं। इन नेताओं से पहले भी पूछताछ हो चुकी है अब दुबारा फिर से पूछताछ की जानी है। गिरफ्तारी भी की जा सकती है। तेजस्वी यादव से आज ही ईड (ED ) की पूछताछ की जानी है। इसके बाद 27 तारीख को फिर से लालू यादव ( Lalu Yadav ) से पूछताछ की जाएगी। क्या पूछताछ की जाएगी और क्या कुछ पूछना बाकी रह गया है यह कोई नहीं जानता।


उधर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ( CM Hemanat Soren )कई बार से ईडी के सामने पेश नहीं हो रहे हैं। अबकी बार फिर से ईडी का समन उन्हें मिला हुआ है। कहा जा रहा है कि अगर इस बार भी हेमंत हाजिर नहीं होंगे तो अदालत के जरिए वारंट ( Warant ) निकालने की कोशिश भी ईडी कर सकती है। कुल मिलाकर यही दिखाना है कि झारखंड ( Jharkhand ) के सीएम भ्रष्ट हैं।
इसी तरह से दिल्ली के सीएम केजरीवाल ( Delhi CM Kejriwal ) के खिलाफ भी समन जारी है। केजरीवाल के खिलाफ कई समन पहले भी जारी हो चुके हैं। केजरीवाल कई बार ईडी (ED )के सामने पेश भी हो चुके हैं। अब केजरीवाल क्या करेंगे यह कोई नहीं जानता। वे तो स्वास्थ लाभ ले रहे हैं लेकिन जांच एजेंसी यह दिखा रही है कि केजरीवाल भाग रहे हैं। केजरीवाल पर भी शराब घोटाले को लेकर जांच की जा रही है। इसी घोटाले में केजरीवाल के कई बड़े नेता जेल में बंद हैं और उन्हें जमानत तक नहीं मिल रही है।
यह भी बता दें कि जिन तीन राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई थी वहां तो बीजेपी को जीत मिल गई है। लेकिन बिहार ,झारखंड और दिल्ली में बीजेपी ( BJP ) की लड़ाई उन सत्ताधारियों से है जिनकी राजनीतिक जमीन काफी मजबूत है। बीजेपी इस जमीन को कमजोर करना चाहती है और जनता के बीच यह सन्देश देने की कोशिश कर रही है कि ये पार्टियां भ्रष्ट है और जनता की उम्मीदों पर खड़ी नहीं है। जनता की उम्मीदों को केवल बीजेपी ही पूरा कर सकती है।
राजस्थान ( Rajsthan ) ,मध्यप्रदेश ( Madhya Pradesh ) और छत्तीसगढ़ ( Chhatisgarh ) में बीजेपी की जीत के बाद उसे ताकत मिल गई है। उसे यह भी लगने लगा है कि जनता के बीच भ्रष्टाचार ( Corruption ) का मुद्दा प्रभावी हो रहा है और जनता इसे पसंद भी कर रही है। ऐसे में बीजेपी इस अभियान ( Compaign )को आगे भी जारी रखना चाहती है। संभव यह भी है कि लोकसभा चुनाव से पहले हेराल्ड ( Herald ) मामले की जांच फिर से शुरू हो जाए और सोनिया गाँधी ( Sonia Gandhi ) से लेकर राहुल गाँधी ( Rahul Gandhi ) के खिलाफ कोई बड़ी करवाई भी हो जाए। कुछ भी संभव हो .बीजेपी विपक्ष को महाभ्रष्ट बताकर या जनता के बीच नैरेटिव (Negative )दिखाकर आगे की राजनीति को साधने में जुटी है।

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