Shubh muhurat: व्यवसायिक प्रतिष्ठान एवं उद्योग में अच्छा लाभ प्राप्त करने के लिए उनका उद्घाटन शुभ मुहूर्त में होना चाहिए। चुनाव जीतने के लिए नामांकन पत्र शुभ मुहूर्त में ही भरना चाहिए। किसी भी ठेके के लिए टेंडर शुभ मुहूर्त में भरा जाए तो लाभ निश्चित होगा। कोई भी वस्तु खरीदने या बेचने का कार्य शुभ मुहूर्त में हो तो लाभकारी रहता है। इसी प्रकार प्रत्येक कार्य को सम्पन्न करने के लिए शुभ मुहूर्त निकाला जा सकता है।
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क्या आप जानते हैं कि यदि शुभ मुहूर्त में, सही दिशा में कार्य किए जाएं तो मनुष्य का भविष्य बदल सकता है तथा उसका जीवन आनंददायक व खुशहाल बन सकता है। शुभ मुहूर्त की सूक्ष्म अवधि में ही कार्य प्रारंभ कर देने से मुहूर्त सही फलित होता है। भवन निर्माण में लोग वास्तु नियमों को ध्यान में रखकर काफी धन खर्च करते हैं। आमतौर पर देखा गया है कि कितनी ही सावधानी रखी जाए, कोई न कोई वास्तु दोष रह ही जाता है। अगर सही मुहूर्त में भवन निर्माण की नींव रखी जाए तथा भवन निर्माण पूरा होने के बाद या निर्मित नया या पुराना भवन खरीदने के बाद शुभ मुहूर्त में ग्रह प्रवेश हो। शुभ मुहूर्त का चयन 2 प्रकार से होता है, एक शुभ तिथि, वार, नक्षत्र, योग को करण को देखकर, तथा दूसरा जिसके नाम भूमि, मकान, भवन है, उस भवन स्वामी की ग्रहदशा के मुताबिक उसकी चन्द्रमा आदि ग्रह की गोचर स्थिति के साथ पंचांग में दी गई गृह प्रवेश आदि शुभ तिथियों का तालमेल करने पर। विवाह में लोग काफी धन खर्च करते हैं, जन्म पत्रियों का मिलान भी करते हैं फिर भी बहुत दंपतियों का वैवाहिक जीवन दुखी रहता है या अलगाव की स्थिति हो जाती है।
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अगर विवाह की रस्म शुभ मुहूर्त में प्रारंभ हो, चाहे वो किसी भी रीति-रिवाज से हो, वैवाहिक जीवन खुशहाल रहेगा। प्राचीन काल में सुयोग्य संतान प्राप्ति के लिए पंचांग आदि देखकर गर्भाधान मुहूर्त का चयन किया जाता था। इस तरह की गणना के लिए प्रत्येक स्त्री की जन्म कुण्डली में जन्म कालिक सूर्य एंव चंद्रमा के अंशों से प्राप्त अन्तर आदि का समन्वय किया जाता है। मनचाही संतान प्राप्त करने के लिए शास्त्रों में वर्णित विधि द्वारा स्त्री की गोचर कुण्डली के मुताबिक कई प्रकार की कैलेण्डर तालिका बनाकर उसका उपयोग किया जाता है। प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक इस विधि मुहूर्त से मनचाही संतान प्राप्त की जा सकती है साथ ही जिन स्त्रियों को संतान नहीं होती है, उनके पति की जन्मपत्री देखकर उपाय आदि करने से उनको कम से कम एक संतान प्राप्ति का योग बन सकता है।
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इसी प्रकार शुभ मुहूर्त में ही नवजात शिशु का नामकरण करना चाहिए। बच्चा अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके, उसके लिए शुभ मुहूर्त में विद्यारम्भ कराना चाहिए। इसी प्रकार से बैंक में खाता खोलने का शुभ मुहूर्त का भी चयन करना चाहिए। बुधवार, गुरुवार अथवा सोमवार को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्ष्त्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र अथवा रोहिणी नक्षत्र में वृष लग्न, सिंह लग्न, वृश्चिक लग्न अथवा कुम्भ लग्न, इन स्थिर लग्नों में बैंक में खाता खोलना शुभ रहता है।