Maharastra Political News: पंच राज्यों के चुनाव के बाद बीजेपी जहां तीन राज्यों में सरकार बनाने में सफल रही है वही अब महाराष्ट्र की शिंदे सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की नजर टिक गई है। महाराष्ट्र की शिंदे सरकार क क्या होगा इसको लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गर्म हो चली है। इधर महाराष्ट्र में शिंदे सरकार बचती है यह जाती है इसको लेकर अब दस जनवरी तक का समय शीर्ष अदालत ने विधान सभा अध्यक्ष को फैसला लेने के लिए दिया है। पहले यह समय 31 दिसंबर तक का ही दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट पहले ही नाराजगी जताते हुए 31 दिसंबर तक का समय विधान सभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को दिया था। लेकिन अब फिर से दस जनवरी तक का समय दिया गया है। अगर इस बीच विधानसभा अध्यक्ष कोई फैसला नहीं करते हैं तो सुप्रीम कोर्ट खुद ही फैसला करता सकता है। इधर शरद पवार की पार्टी एनसीपी से टूटे विधायकों का फैसला 31 जनवरी तक होना है।
बता दें कि शिवसेना की जब टूट हुई थी बड़ी सांख्य में शिवसेना के विधायक टूटकर शिंदे गट के साथ चले गए थे। अभी महराष्ट्र में शिंदे की सरकार है। इस सरकार में शिंदे गुट ,बीजेपी और एनसीएपी की अजित पवार गुट शामिल है। शिवसेना टूटने के बाद उद्धव शिवसेना और शरद पवार गुट से अलग हुए विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग चल रही है। इस मामले में जल्दी सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। विधान सभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने पहले अदालत से तीन सप्ताह का समय माँगा था। नार्वेकर ने 14 दिसंबर को अदालत को बताया था कि विधायकों की अयोग्यता को लेकर दो लाख 71 हजार पन्नो का दस्ताबेज दाखिल किया गया है। इसे पढ़ने की जरूरत है और इसी बीच अभी महाराष्ट्र विधान सभा का सत्र चल रहा है इसलिए अभी फैसला लेने के लिए तीन सप्ताह का समय की जरुरत है।
नार्वेकर की बात को मानते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्या न्ययाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि फैसले में देरी के जो कारण है वह वाजिब है इसलिए हम अध्यक्ष को दस दिनों का और समय दे रहे हैं। यह समय दस जनवरी तक का है। इस बीच फैसल आ जाना चाहिए।
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बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने 17 अक्टूबर को कहा था कि हम नहीं चाहते कि यह मामल महाराष्ट्र में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव तक लटक जाए। हमने बार -बार स्पीकर से फिसल लेने को कहा है। अगर वे फैसला नहीं करेंगे तो हम करेंगे। इसके बाद 31 दिसंबर तक का समय दिया गया था।
लेकिन विधान सभा अध्यक्ष ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया। अब माना जा रहा है कि दस जनवरी तक जो फैसला होगा उसमे शिंदे की सरकार जा भी सकती है। ुर ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र में बीजेपी की परेशानी तो बढ़ेगी ही इसके साथ ही शिंदे की राजनीति भी फंस सकती है। बता दें कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच की लड़ाई है और अगर शिंदे के कई विधायकों को अगर अयोग्य ठहराया जता है तो शिंदे की राजनीति कमजोर हो सकती है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि विधान सभा अध्यक्ष खीर फिसला क्या लेते है ?