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Taj Mahotsav:वंचित समुदाय के बाल कलाकारों की उपेक्षा, चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट ने की शिकायत

चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस वंचित समुदाय झुग्गी झोपड़ी तथा भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षित कराकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ रहे है। ने उनके अंदर छुपी हुई प्रतिभा को तराशने का कार्य कर रहे हैं। वे वंचित समाज के इन बच्चों में तमाम बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ बच्चियों ने महोत्सव में प्रस्तुति देने की इच्छा जाहिर की थी। नरेश पारस ने यह प्रस्ताव ताज महोत्सव समिति के समक्ष रखा। लेकिन उनके प्रस्ताव को कोई महत्व नहीं दिया गया।

आगरा। ताज महोत्सव (Taj Mahotsav) समिति पर वंचित समुदाय के बाल कलाकारों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। इस संबंध में चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट ने संस्कृति मंत्रालय से शिकायत की है।


वंचित समुदाय की बेटियों को ताज महोत्सव (Taj Mahotsav) में मंच नहीं मिला। इस बात की शिकायत कमिश्नर तथा संस्कृति मंत्रालय से की गयी है। शिकायत में बताया गया है कि 13 बेटियों ने ताज महोत्सव के मंच पर प्रस्तुति इच्छा जताई थी। लेकिन आयोजकों ने उनके प्रस्तुति देखे बगैर उनको मना कर दिया।

नृत्य का अभ्यास करतीं वचित समाज की बच्चियां


यूं तो ताज महोत्सव कला और संस्कृति का संगम कहा जाता है। इस मंच पर कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलता है। लेकिन अब ताज महोत्सव भेदभाव का आरोप लगा चुका है। लगता है कि ताज महोत्सव चंद लोगों के निर्णयों तक सिमटकर रह गया है।

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चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस वंचित समुदाय झुग्गी झोपड़ी तथा भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षित कराकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ रहे है। ने उनके अंदर छुपी हुई प्रतिभा को तराशने का कार्य कर रहे हैं। वे वंचित समाज के इन बच्चों में तमाम बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ बच्चियों ने महोत्सव में प्रस्तुति देने की इच्छा जाहिर की थी। नरेश पारस ने यह प्रस्ताव ताज महोत्सव समिति के समक्ष रखा। लेकिन उनके प्रस्ताव को कोई महत्व नहीं दिया गया।


महोत्सव में प्रस्तुति देने का मन बना चुकी वंचित समुदाय की 13 बेटियों को निराश होना पड़ा। आयोजकों ने उनकी कला को बिना देखे ही इन बच्चियों को रिजेक्ट कर दिया। नरेश पारस ने इस संबंध में आगरा मंडलायुक्त, संस्कृति मंत्री, मुख्यमंत्री यूपी तथा संस्कृति विभाग में शिकायत की गई है।

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