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राजस्थान में दलित और जाट का गठजोड़ बिगड़ सकता है बीजेपी और कांग्रेस का खेल !

Rajsthan Election News 2023 : राजनीति तो एक गेम ही है। गेम पक्ष में चला गया तो जीत हो गई और गेम नही चला तो खेल खराब। यह सब जानता के मूड पर निर्भर करता है। कई लोकसभा और विधान सभा चुनाव के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि जिन मुद्दों पर चुनाव होने चाहिए इन मुद्दों पर जनता किसी भी पार्टी को नकार देती है और जिन मुद्दों की ज़रूरत नही होती वही मुद्दे चुनाव के लिए निर्णायक हो जाते हैं।

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राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत को लगता है कि उनके विकास कमी को देखकर जनता फिर से उन्हें वोट डालेगी। ऐसा हो भी सकता है और नही भी। यह सब जानता की समझदारी पर निर्भर करेगा। लेकिन उधर बीजेपी भी तो अपना खेल कर रही है और आज भी करेगी। लक्ष्य तो किसी भी पार्टी का यही है कि उसकी सरकार बने। जो छोटी और नई पार्टी है उसका मकसद यही होता है कि भले ही उसकी सरकार न बने लेकिन जिसकी भी सरकार बने उसमे उसकी भूमिका हो। मोलजोल हो और लाभ लिया जाए।
ऐसे में राजनीति एक व्यापार ही दिखता है। और सच में ऐसा है भी। लेकिन राजस्थान में एक नया मोर्चा भी बन रहा है जिससे बीजेपी और कांग्रेस की नींद उड़ रही है। दो समुदाय के दो बड़े नेता आपस में मिलकर चुनाव लड़ने जा रहे है और ये सभी 200 सीटों पर चुनाव लडेंगे। नेता हैं हनुमान बेनीवाल और चंद्रशेखर आजाद। एक जाट नेता है तो दूसरे दलित नेता। बेनीवाल की पार्टी आरएलपी है तो चंद्रशेखर की पार्टी भारतीय समाज पार्टी है। इन दोनो नेताओं की नजर प्रदेश की दलित और जाट बहुल इलाकों पर है।

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बता दें कि राजस्थान में 33 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है जबकि 25 सीट एसटी के लिए आरक्षित है। इन जाट और दलित नेता के एक होने से कांग्रेस के भीतर भी घबराहट है और बीजेपी के भीतर भी घबराहट है। पिछले चुनाव में करीब 76 लाख वोट ऐसे थे जो कांग्रेस और बीजेपी से परे डाले गए थे। जानकर कह रहे हैं कि बेनीवाल की नजर इन्ही वोटरों पर है। अगर इनमे से कुछ प्रतिशत वोटर भी इनके पक्ष में आ जाते है तो बीजेपी और कांग्रेस के खेल खराब हो सकते हैं ।
जानकर यह भी कह रहे है कि इस बार किसी और तरह को परेशानी बीजेपी और कांग्रेस को उठानी होगी। एक तरफ दलित और जाट वोट में सेंध लगाने की तैयारी है तो ओवैसी मुस्लिम और दलित वोट को अपने पक्ष में करने को तैयार है। अगर इनमे से दर्जन भर सीट भी इन दलों और गठबंधन के मिल जाती है तो खेल ही खराब हो जाएगा। फिर किसी की सरकार नही बनेगी।विधान सभा भंन्ग भी हो सकता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि चाहे जैसे भी हो राजस्थान में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी है। यही बात बेनीवाल भी कर रहे हैं। हालाकि बेनीवाल को मनाने की कोशिश कांग्रेस भी कर रही है बीजेपी भी लेकिन अब जो स्थिति है उसमे साफ हो गया है कि आजाद और बेनीवाल के गठबंधन का असर चुनाव पर पड़ेंगे। जाट और दलित का यश गठजोड़ कितना कामयाब होता है इसे देखने को जरूरत है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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