Delhi Ordinance: वैसे संसद में इस बार के सत्र में कुल 31 बिल पास कराने के लिए सूचीबद्ध है लेकिन देश की निगाह दिल्ली सरकार को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाये गए अध्यादेश (Delhi Ordinance) पर टिकी है। सरकार इसको लेकर भी बिल लाने को तैयार है। हालांकि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) कोशिश कर रहे हैं कि कम से कम राज्य बिल पास न हो पाए। इसके लिए केजरीवाल ने काफी मेहनत भी है और देश के अधिकतर गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों और दलों से मुलाकात भी है। कांग्रेस ने भी इस बिल के विरोध में वोटिंग करने की बात कही है। यहां तक तो सब ठीक है लेकिन अभी संसद की जो स्थिति है उसमे साफ़ लगता है कि तमाम बिल को पास करा लेगी।
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इस बिल को लेकर सरकार और विपक्ष अब आमने सामने आ खड़ा हुआ है। वैसे ऊपर से है कि इस बिल को पास कराने में सरकार को कोई ज्यादा परेशानी होने वाली है। राज्य सभा में बीजेपी सांसदों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी बीजेपी सीट मिल गई है। अब बीजेपी के संख्या 92 हो गई है। पहले 91 बीजेपी सदस्य थे। इसके अलावा बीजेपी की सहयोगी पार्टियों को मिलाकर बीजेपी के पास 110 सांसद बन जाते हैं। राज्य सभा बहुमत का आंकड़ा 123 का है इस लिहाज से तो बीजेपी को बहुमत के लिए 13 अतिरिक्त वोट की ही जरूरत है। यदि राज्य सभा के सभी सदस्य संसद में हाजिर रहे और मतदान करें। बसपा ने कहा है कि वह मतदान में किसी के साथ हिस्सा नहीं लेगी। हालांकि राज्य सभा में बसपा का मात्र एक ही सदस्य है।
ऐसे में बीजेपी की नजर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (naveen patnaik) और आंध्रा के रेड्डी (YS Jagan Mohan Reddy) पर है। ये दोनों हमेशा बीजेपी के साथ खड़े रहे हैं। जब भी किसी बिल पर पार्टियों की जरुरत बीजेपी को लगी है ये दोनों पार्टियां हमेशा बीजेपी का साथ देती रही है। इधर विपक्षी एकता बनने के बाद भी ये दोनों पार्टियां किसी गुट के साथ नहीं गई है। आगे ये पार्टियां क्या करेगी कोई नहीं जनता। लेकिन बीजेपी को लग रहा है कि ये दोनों पार्टियां उसका साथ देगी। अगर ये दोनों पार्टियां सरकार (Delhi Ordinance) का समर्थन करती है तो सरकार के पक्ष में 128 सांसद हो जायेंगे और फिर विपक्ष का कोई भी विरोध नहीं चलेगा। हालांकि विपक्ष भी लगातार नवीन और जगन के टच में है और बीजेपी के लोग भी लगातार इन मुख्यमंत्रियों से मिल रहे हैं। हालांकि अभी तक ये दोनों पार्टियां मुद्दों के आधार पर बीजेपी का समर्थन करती रही है, ऐसे में संभव है कि बीजेपी को फिर से इन दोनों पार्टियों का साथ मिल जाए। हालांकि बीजेपी इधर जगन रेड्डी पर भी हमलावर हैं ऐसे में देखना होगा कि जगन रेड्डी कौन सा खेल करते हैं।