Kailash Mansarovar Yatra 2025: पांच साल बाद फिर से शुरू होगी पवित्र यात्रा, 4 जुलाई को उत्तराखंड पहुंचेगा पहला जत्था
पांच साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर लिपुलेख दर्रे के रास्ते शुरू हो रही है। पहला जत्था 4 जुलाई 2025 को टनकपुर पहुंचेगा। यह 23 दिन की यात्रा कैलाश पर्वत की 52 किलोमीटर की परिक्रमा सहित तिब्बत होते हुए पूरी होगी।
Kailash Mansarovar Yatra 2025: पांच वर्षों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर से शुरू होने जा रही है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से होकर जाने वाली यह यात्रा 4 जुलाई 2025 को फिर से प्रारंभ होगी। पहला जत्था दिल्ली से रवाना होकर उसी दिन टनकपुर पहुंचेगा, जहां पारंपरिक कुमाऊं रीति-रिवाजों के साथ इन श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाएगा। यात्रा का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) के माध्यम से किया जा रहा है, जिसने सभी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है।
यात्रा की विशेष शुरुआत
पहले जत्थे में कुल 52 श्रद्धालु शामिल होंगे। दिल्ली में स्वास्थ्य परीक्षण और दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद यह दल टनकपुर पहुंचेगा, जहां इनके लिए रात्रि विश्राम, भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई है। यहां से अगले दिन यह जत्था चंपावत, पिथौरागढ़ और धारचूला होते हुए आगे की यात्रा करेगा।
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लगभग 23 दिन की यात्रा अवधि
यह यात्रा कुल मिलाकर 22 से 23 दिनों की होगी। इस दौरान श्रद्धालु उत्तराखंड से होते हुए तिब्बत में प्रवेश करेंगे और पवित्र कैलाश पर्वत की परिक्रमा करेंगे। परिक्रमा का कुल मार्ग 52 किलोमीटर का होगा। यात्रा का यह मार्ग टनकपुर-चंपावत-पिथौरागढ़ होते हुए लिपुलेख दर्रे से तिब्बत तक जाता है।
कुल 250 श्रद्धालु करेंगे भागीदारी
इस वर्ष कुल 250 श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा में भाग लेंगे, जिन्हें पांच जत्थों में बांटा गया है। प्रत्येक जत्थे में 50 लोग होंगे। अलग-अलग तिथियों पर यह जत्थे यात्रा शुरू करेंगे और अंतिम जत्था अगस्त के अंतिम सप्ताह तक लौट आएगा।
स्वास्थ्य परीक्षण और व्यवस्थाएं
श्रद्धालुओं की यात्रा से पहले दिल्ली में विशेष स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पहुँचने के बाद एक और जांच गुंजी में की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई श्रद्धालु ऊँचाई से जुड़ी समस्याओं का सामना न करे। कुमाऊं मंडल विकास निगम की टीम प्रत्येक चरण में श्रद्धालुओं के साथ रहेगी।
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सुरक्षित मार्ग और तैयारियां पूरी
उत्तराखंड में बरसात को देखते हुए यात्रा मार्ग की नियमित निगरानी की जा रही है। KMVN के वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल ही में सड़क मार्ग का निरीक्षण भी किया है। जिन स्थानों पर भूस्खलन की संभावना है, वहां पर मशीनरी तैनात की गई है ताकि मार्ग में किसी प्रकार का व्यवधान न आए।
महत्वपूर्ण पड़ाव और संस्कृति से जुड़ाव
यात्रा के दौरान श्रद्धालु टनकपुर, चंपावत, पिथौरागढ़, धारचूला, गुंजी और नाभीढांग जैसे स्थानों से होकर गुजरेंगे। इन स्थलों पर उन्हें न केवल विश्राम मिलेगा बल्कि स्थानीय संस्कृति, खानपान और रीति-रिवाजों से भी परिचय होगा। नाभीढांग अंतिम भारतीय पड़ाव होगा, जहां से दल लिपुलेख दर्रा पार कर तिब्बत में प्रवेश करेगा।
KMVN की भूमिका और सेवाएं
कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा भोजन, ठहरने, मार्गदर्शन, सुरक्षा, स्वास्थ्य और अनुमतियों की व्यवस्था की जा रही है। निगम के अधिकारी जत्थे के साथ रहकर श्रद्धालुओं को मार्ग की कठिनाइयों और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जानकारी देंगे। प्रत्येक जत्थे को दिन में तीन बार भोजन में कम से कम एक कुमाऊंनी व्यंजन परोसा जाएगा।
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यात्रा के लिए पंजीकरण और खर्च
यात्रा में भाग लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है। इसके लिए पासपोर्ट की स्कैन कॉपी, फोटो, मोबाइल नंबर और ईमेल अनिवार्य होते हैं। आवेदन kmy.gov.in पोर्टल पर किया जाता है। प्रति यात्री यात्रा का खर्च लगभग ₹1.74 लाख है, जिसमें ठहराव, भोजन और चीन क्षेत्र में सुविधाएं शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह यात्रा राज्य की संस्कृति और परंपरा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। सरकार ने यात्रियों की सुविधा के लिए हर स्तर पर समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का अनुभव है। 2025 में यह यात्रा फिर से आरंभ होने जा रही है, जिससे न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को संबल मिलेगा, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को भी वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी। यात्रा की हर व्यवस्था को सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार और कुमाऊं मंडल विकास निगम पूरी तरह तैयार हैं।
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