Today Headlines Political News Delhi loksabha Seat: दिल्ली में प्रवासी लोगों की संख्या हर दिन बढ़ती ही जा रही है। पिछले कुछ सालों में दिल्ली आये बिहार और यूपी के लोगों ने अब यहाँ ठिकाना भी बना लिया है। वे दिल्ली के भी बासी हो गए हैं। दिल्ली में प्रवासियों की संख्या बढ़ती जाने से दिल्ली की राजनीति में भी इनकी पैठ हो गई है। वे चुनाव भी लड़ते हैं और चुनाव में हार जीत का समीकारण भी तैयार करते हैं। बीजेपी हो चाहे कांग्रेस या फिर आप की राजनीति अब इन प्रवासी वोटरों केइर्द गिर्द घूम रहगी है। हालांकि यह सब वर्षों से ही चल रहा था लेकिन इस बार जिस तरह से आप और कांग्रेस ने मिलकर प्रवासी वोटरों को साधने की कोशिश की है इससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। चुनाव में इन प्रवासियों का एक्शन क्या होगा यह तो देखने की बात होगी लेकिन बीजेपी की परेशानी बढ़ती ही जा रही है।
बीजेपी को प्रवासी वोटरों का सबसे ज्यादा लाभ मिलता रहा है। लोकसबाहा चुनाव में 2014 से ही बीजेपी प्रवासी वोटरों को अपने खेमे में लाने की कोशिश की और उसका लाभ भी बीजेपी को खूब मिला। बीजेपी ने उत्तर -पूर्व लोकसभा क्षेत्र से गायक मनोज तिवारी को मैदान में उतारा हाउ उन्हें जीत भी हुई। वे 2014 और 2019 के चुनाव में भी जीते। बीजेपी ने इस बार फिर से मनोज तिवारी को मैदान में उतारा है लेकिन इस बार मनोज तिवारी की मिश्किलों को कांग्रेस के कन्हैया कुमार ने बढ़ा दिया है। कन्हैया कुमार मनोज तिवारी के खिलाफ मैदान में हैं और उन्हें आप का भी समर्थन है। जाहिर है कि मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार को लेकर अब प्रवासी वोटर क्या करेंगे यह देखने की बात होगी।
लेकिन मामला यही तक का नहीं है। आप और कांग्रेस के गठबंधन ने इस बार दिल्ली में तीन प्रवासी उम्मीदवारों को मैदान में खड़ा किया है। चार सीटों पर आप लड़ रही है जबकि तीन सीटों पर कांग्रेस लड़ रही है। कांग्रेस और आप ने इस बार तीन प्रवासी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है और तीनो बिहार के ही रहने वाले हैं। आप नेता महाबल मिश्र पश्चिम दिल्ली से आप के उम्मीदवार हैं। पहले मिश्र कांग्रेस की राजनीति करते थे और कई बार सांसद भी रहे लेकिन के साथ हैं। इस बार महाबल मिश्रा के साथ क्या होता है यह देखने की बात होगी। महाबल मिश्र के बेटे आप के विधायक भी हैं। महाबल मिश्र की जमीनी पकड़ है और वे प्रवासियों के बीच काफी चर्चित भी हैं।
आप के दूसरे उम्मीदवार सोमनाथ भारती है। भारती अभी आप के विधायक हैं और मंत्री भी रह चुके हैं। वे भी पके पकाये नेता है और दिल्ली की जनता के बीच उनकी पानी पहचान भी है। इस बार भारती को नई दिल्ली सीट से आप ने उम्मीदवार बनाया है। उनका सामना सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज से होना है।
उत्तर -पूर्वी सीट से लगातार दो बार चुनाव जीत रहे मनोज तिवारी की अपनी ख़ास पहचान है। उनकी प्रवासियों के बीच गहरी पैठ भी है। वे बीजेपी के दिल्ली के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। लेकिन जिसे तरह से कन्हैया कुमार को उनके खिलाफ खड़ा किया गया है उससे साफ़ है कि अगर इस बार प्रवासी लोग कन्हैया के साथ चले गए तो मनोज तिवारी की परेशानी बढ़ सकती है। कन्हैया कुमार भी अब पके नेता हो गए हैं। वे भी लोगों को जोड़ने में माहिर हैं। इसके साथ ही वे राहुल गाँधी के भी ख़ास बने हुए हैं। जाहिर है इस बार तीन प्रवासियों को उतारकर कांग्रेस और आप ने बड़ा दाव खेला है। और गारा यह दाव चल गया तो परिणाम कुछ और ही देखने को मिल सकते हैं।