Tiger Attack Ranthambore: रणथंभौर में फिर बाघ का हमला, फॉरेस्ट गार्ड और कृषि अधिकारी घायल, इलाके में दहशत
राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क से एक और खौफनाक खबर सामने आई है. खंडार क्षेत्र के कैलाशपुरी एनीकट के पास एक बाघ ने हमला कर दिया, जिसमें कृषि पर्यवेक्षक सीताराम सैनी और एक फॉरेस्ट गार्ड घायल हो गए.
Tiger Attack Ranthambore: राजस्थान के रणथंभौर नेशनल पार्क से एक बार फिर इंसान और बाघ के टकराव की खबर आई है। इस बार खंडार क्षेत्र के कैलाशपुरी एनीकट के पास एक बाघ ने दो लोगों पर हमला कर दिया, जिनमें एक फॉरेस्ट गार्ड और एक कृषि विभाग का पर्यवेक्षक शामिल है। यह पिछले 55 दिनों में बाघ का चौथा हमला है, जिससे वन विभाग की चिंता और स्थानीय लोगों की दहशत दोनों बढ़ गई है।
जानकारी के अनुसार, घायल कृषि पर्यवेक्षक सीताराम सैनी और फॉरेस्ट गार्ड को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है। घटना के बाद वन विभाग ने मोर्चा संभाल लिया है, लेकिन अधिकारी अभी इस हमले पर सार्वजनिक रूप से कुछ कहने से बच रहे हैं।
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बाघ के हमले की पूरी घटना
शनिवार सुबह की यह घटना उस समय घटी जब सीताराम सैनी और वनकर्मी क्षेत्रीय निरीक्षण के लिए कैलाशपुरी एनीकट के पास पहुंचे थे। तभी अचानक झाड़ियों से निकलकर एक बाघ ने उन पर हमला बोल दिया। हमले में दोनों को गंभीर चोटें आईं।
वन विभाग की सतर्कता पर उठे सवाल
इस हमले के बाद वन विभाग की सतर्कता और सुरक्षा प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। लगातार हो रहे हमलों के बावजूद बाघों की लोकेशन ट्रैक करने या संवेदनशील इलाकों को प्रतिबंधित घोषित करने के कोई ठोस उपाय अभी तक नहीं दिखे हैं।
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पिछले 55 दिनों में ये हैं हमलों की घटनाएं
पहला हमला: मई की शुरुआत में एक गांव के पास बाघ ने एक चरवाहे पर हमला कर उसे घायल कर दिया था।
दूसरा हमला: कुछ ही दिनों बाद एक बाघ ने खेत में काम कर रहे किसान को निशाना बनाया था।
तीसरा हमला: जून की शुरुआत में ही एक और फॉरेस्ट गार्ड पर बाघ ने झपट्टा मारा था।
अब चौथा हमला: जिसमें दो लोग घायल हो चुके हैं।
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ग्रामीणों में दहशत का माहौल
लगातार हो रहे बाघों के हमलों से खंडार क्षेत्र के ग्रामीणों में डर गहराता जा रहा है। कई लोग खेतों में काम करने से डर रहे हैं, जबकि कुछ परिवारों ने जंगल के किनारे स्थित अपने घरों को खाली कर दिया है। ग्रामीणों ने वन विभाग से इलाके में गश्त बढ़ाने और बाघ को पकड़ने की मांग की है।
वन्यजीव विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञ मानते हैं कि इंसान और बाघ के बीच बढ़ती मुठभेड़ का कारण जंगल क्षेत्र का सिकुड़ना, मानव गतिविधियों का बढ़ना और बाघों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते ठोस रणनीति नहीं अपनाई गई तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
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