आज फिर किसान और सरकार के बीच होगी बातचीत, क्या निकल पाएगा हल ?
Delhi Kisan Protest: देश की राजधानी दिल्ली में किसान जमकर उत्पात मचा रहे हैं, एक ओर जवान हैं तो वहीं दूसरी ओर प्रदर्शनकारी किसान हैं, जो इस जिद्द पर हैं कि सरकार उनकी बातों को मानें। लेकिन सरकार भी अपनी जिद्द पर है कि किसानों की सभी मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता है।
लोकसभा चुनाव नजदीक है, विपक्ष का किसानों को भरपूर समर्थन है…. ऐसे में सरकार भी किसानों को मनाने का काम कर रही है। आज किसानों और केंद्र के बीच में बातचीत होनी है। सरकार एक बार फिर से किसानों को मनाने की कोशिश करेगी।
देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर पिछले कुछ दिनों में जो बवाल हुआ था। उसकी तस्वीरें हर किसी ने देखी थीं। जो तस्वीरें सामने आईं थी वो चिंता बढ़ाने वाली थी और डराने वाली थीं। दिल्ली में पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठियों से प्रहार किए और पत्थरों से पलटवार किया गया।
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यानी सरकार को सालाना 40 लाख करोड़ का अनाज खरीदने के लिए तैयार रहना होगा। जो कि मुश्किल ही नहीं नामुमकिन के बराबर है। दरअसल सरकार का कुल एक्सपेंडिचर बजट 45 लाख करोड़ है। ऐसे में अगर सरकार MSP के लिए तैयार हो जाती है। तो सरकार के कुल एक्सपेंडिचर बजट का 90 प्रतिशत MSP पर खर्च हो जाएगा। इसके अलावा इनकम टैक्स का कलेक्शन करीब 16 लाख 63 हज़ार करोड़ होता है। जिसका ढ़ाई गुना MSP पर ही खर्च करना पड़ जाएगा। जो सरकार अस्पताल, इलाज और दवाईयों पर खर्च करती है। ये करीब एक लाख करोड़ होता है.. यानी कि MSP का खर्च हेल्थ बजट का 40 गुणा आएगा.. जो कि बड़ी परेशानी है। किसानों की मांगों को पूरा करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। क्योंकि अनुमान के मुताबिक मौजूदा MSP वाली फसलों पर गांरटी लागू करने से सरकार को 10 लाख करोड़ सालाना खर्च आएगा। जो कि देश के हेल्थ बजट का 10 गुणा, डिफेंस बजट का करीब 2 गुणा। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार सालाना जितना खर्च करती है।
दरअसल आपको बता दें कि मौज़ूदा समय में सरकार 24 फसलों पर MSP तय करती है। इनमें से 25 प्रतिशत फसलों को सरकार खरीद लेती है।जिस पर सरकार को करीब 2.5 लाख करोड़ का खर्च आता है। यानी अभी अनाज खरीदने पर सरकार कुल 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करती है.. अगर सभी फसलों को जोड़ दिया जाए तो फिलहाल सरकार करीब 6.25 प्रतिशत फसल खरीदती है।
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किसान भले ही लाख दावे करें, लेकिन उनकी मांगों का पूरा कर पाना लगभग असंभव है…हालांकि किसान अभी भी देश की राजधानी दिल्ली में रूके हुए हैं। किसान लगातार सरकार पर दवाब बनाने की कोशिश कर रहे हैं। किसान और सरकार के बीच में कई दफा बातचीत हो चुकी हैं, लेकिन बातचीत में कोई भी नतीजा नहीं निकल पाया है। हालांकि बीजेपी के प्रवक्ता लगातार ये दावा कर रहे हैं कि इसमें विपक्ष का हाथ है, लेकिन सरकार को ये बात बखूबी पता है कि किसान अगर देश की राजधानी में दस्तक देने की कोशिश करेंगे तो कहीं ना कहीं चुनावों में सरकार को नुकसान जरूर होगा।