ट्रेंडिंगधर्म-कर्म

कृष्ण और अश्र्वथामा के बीच ऐसा क्या हुआ था, जिससे भगवान कृष्ण को देना पड़ गया था श्राप

नई दिल्ली: हम सभी ने महाभारत देखी होगी। इसके हर किरदार से हम सभी वाकिफ हैं। इन्हीं में से एक किरदार अश्वत्थामा का भी है । इन्हें भगवान श्रीकृष्ण द्वारा शाप दिया गया था। आज जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको अश्वत्थामा के शाप की पौराणिक कथा सुना रहे हैं। कथा पढ़ने से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर अश्वत्थामा था कौन?

महाभारत युद्ध से पूर्व गुरु द्रोणाचार्य कई स्थानों पर भ्रमण करते हुए ऋषिकेश पहुंचे। यहां उन्हें तमसा नदी के किनारे एक दिव्य गुफा में तपेश्वर नामक स्वय्मभू शिवलिंग मिला। गुरु द्रोणाचार्य और उनकी पत्नी माता कृपि ने उस गुफा में शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। उनके तप से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। फिर कुछ ही समय बाद गुरू द्रोणाचार्य और माता कृपि को बालक की प्राप्ति हुआ। वह बालक बेहद तेजस्वी और सुंदर था। जब इस बालक जन्म हुआ तो उसके गले से हिनहिनाने की ध्वनि सुनाई दे रही थी। इसी कारण इस बालक का नाम अश्वत्थामा पड़ा।

जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तब द्रोणाचार्य ने कौरवों का साथ देना उचित समझा। इसके चलते अश्वत्थामा ने भी युद्ध में भाग लिया। वह भी अपने पिता की तरह शास्त्र व शस्त्र विद्या में निपूण थे। इस कारण अश्वत्थामा को कौरव-पक्ष का सेनापति नियुक्त किया गया। अश्वत्थामा ने घटोत्कच पुत्र अंजनपर्वा का वध किया। इसके अलावा द्रुपदकुमार, शत्रुंजय, बलानीक, जयानीक, जयाश्व तथा राजा श्रुताहु का भी वध किया। द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा ने युद्ध में पाण्डव सेना को तितर-बितर कर दिया।

ये भी पढ़ें- इन तरीकों से लड़का-लड़की दोनों का मांगलिक दोष हो जाएगा दूर, अपनाएं ये नियम

इस दौरान अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया। इसके चलते लाखों लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा। यह देख भगवान श्रीकृष्ण बेहद क्रोधित हो गए। उन्होंने अश्वत्थामा को शाप दिया कि वह इस पाप का बोझ 3000 वर्षों तक ढोएगा। वह भटकता रहेगा। उसके शरीर से रक्त की दुर्गंध नि:सृत होती रहेगी। अनेक रोगों से पीड़ित रहेगा।

मान्यता है कि अश्वत्‍थामा श्री भगवान श्रीकृष्ण से यह शाप मिलने के बाद रेगिस्तानी इलाके में चला गया था। वहीं, कुछ लोग यह कहते हैं कि वह अबर चला गया था और उसने श्रीकृष्ण और पांडवाों के धर्म को नष्ट करने की कसम खाई थी। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि अश्वत्‍थामा आज भी अमुक जगहों पर आता रहता है। लेकिन इसकी कोई प्रामाणिकता सिद्ध नहीं कर पाया है।

editorial

editor

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button