Sanatan Conclave: शनिवार, 7 अक्टूबर 2023 को गोविंदपुरम (Govindpuram) के प्रीतम फार्म में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े (Shri Panchadashnam Juna Akhara) व दिल्ली संत महामंडल के मार्गदर्शन और अमर बलिदानी मेजर आशाराम त्यागी सेवा संस्थान (Amar Baidani Major Asharam Tyagi Seva Sansthan) के तत्वावधान में दो दिवसीय सनातन कॉन्क्लेव उत्साह और मर मिटने के जज्बे के साथ आरंभ हुआ जिसमें बड़ी संख्या में संत, बुद्धिजीवी व युवा लोग शामिल हुए।
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सनातन कॉन्क्लेव (Sanatan Conclave) का संचालन दिल्ली संत महामंडल के महामंत्री महामंडलेश्वर स्वामी नवलकिशोर दास जी महाराज (Mahamandaleshwar Swami Navalkishore Das Ji Maharaj) द्वारा करवाया गया। सनातन कॉन्क्लेव (Sanatan Conclave) में साधुओं के सभी 13 अखाड़ों व अनेक पंथ सम्प्रदायों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इतना ही नहीं दूरदराज के देशों जैसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा तथा यूरोप से भी आए सनातन धर्मी कॉन्क्लेव में सम्मिलित हुए।
शनिवार, 7 अक्टूबर को श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक श्रीमहन्त हरिगिरि जी महाराज (Shri Mahant Harigiri Ji Maharaj) ने सनातन कॉन्क्लेव (Sanatan Conclave) की अध्यक्षता करते हुए अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि सनातन धर्म (Sanatan Dharma) ही मानवता का पर्याय है। सनातन धर्म को मिटाने का प्रयास सम्पूर्ण मानवता को मिटाने जैसा है। आज जो लोग सनातन को मिटाने की बात कर रहे हैं, वो अच्छी तरह समझ लें कि सनातन के मिटने के बाद सम्पूर्ण विश्व इराक, सीरिया, लेबनान और अफगानिस्तान बन जायेगा जहाँ केवल विनाश ही विनाश होगा। इस विनाश की आग में उनके घर भी जल जायेंगे जो इस विनाश को आमंत्रित कर रहें हैं। ऐसे लोग अच्छी तरह से समझ ले कि हम सनातन धर्म की रक्षा के लिये अडिग चट्टान की तरह खड़े हैं। समय आने पर हम सनातन धर्म की रक्षा के लिये मर मिटेंगे पर सनातन धर्म को नहीं मिटने देंगे।
सनातन कॉन्क्लेव (Sanatan Conclave) के मुख्य मार्गदर्शक श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष दूधेश्वरनाथ पीठाधीश्वर स्वामी नारायण गिरी (Dudheshwarnath Peethadhishwar Swami Narayan Giri) ने कहा कि सनातन धर्म के शत्रु और सनातन धर्म के विरोधी सनातन धर्म को सबसे ज्यादा जातिवाद और छुआछुत का नाम लेकर बदनाम करते हैं जबकि जातिवाद और छुआछूत तो सनातन धर्म की मूल अवधारणा में कहीं है ही। सनातन धर्म तो वर्ण व्यवस्था पर आधारित धर्म है और वर्ण व्यक्ति के कर्म से निर्धारित होते हैं, जन्म से नहीं। हर किसी को समझना चाहिये कि विदेशी लुटेरों ने हमारी गुरुकुल परंपरा और प्राचीन प्रामाणिक ग्रन्थों के हर पुस्तकालय को समाप्त करके सनातन धर्म को उसके मूल सिद्धांतों से काट दिया और हम पर अनेक ऐसी कुरीतियों को थोप दिया जो हमारी थी ही नहीं। जातिवाद और छुआछूत भी ऐसी ही एक कुरीति है। आज सनातन के मानने वालों के मन से ये कुरीति लगभग खत्म हो चुकी है पर स्वार्थी राजनेता अपने तुच्छ स्वार्थों के लिये जातिवाद को हवा देते हैं और सनातन के मानने वालों को आपस में लड़ा देते हैं। अब संत समाज इस समस्या से निबटने की गहन रणनीति तैयार कर रहा है जिसका असर अतिशीघ्र ही दिखाई देगा।
श्री तुफैल चतुर्वेदी जी (Shri Tufail Chaturvedi) ने सनातन कॉन्क्लेव में न्याय मंच की अवधारणा को उपस्थित सन्तो और बुद्धिजीवियों के समक्ष रखा और कहा कि सनातन धर्मी होने की वजह से हमारा पहला कर्तव्य है कि हम धर्म के लिये लड़ने वालों की हर सम्भव मदद करें। अगर हम ऐसा नहीं करते तो सनातन धर्म को बचाना असम्भव हो जायेगा। उन्होंने कॉन्क्लेव में में शामिल हुए प्रत्येक सनातनी से कम से कम अपने दो बिछड़े हुए भाइयों को सनातन में घर वापसी में लाने का आह्वान किया।
नीरज अत्रि द्वारा सनातन कॉन्क्लेव में इस्लामिक जिहाद (Islamic Jihad) के वास्तविक कारणों पर प्रकाश डालते हुए इसके खतरों के बारे वास्तविकता की समझाया गया ।