उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारीः 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण के लिए संशोधित विधेयक लाएगी धामी सरकार
2015 में हरीश रावत सरकार विधानसभा में इस आरक्षण को बहाल करने के लिए विधेयक पारित कर दिया था। इस विधेयक को मंजूरी के लिए बिल राज्यपाल के पास राज भवन भेज दिया था। तब से यह राजभवन में पड़ा हुआ था। हालांकि 2018 में तत्कालीन त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर राज्य के आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण के प्रावधान को रद्द कर दिया था।
देहरादून। उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों को आरक्षण का लाभ शीघ्र मिल सकता है। धामी सरकार आगामी विधानसभा सत्र में संशोधित विधेयक ला सकती है। इसके लिए न्याय विभाग से सलाह ली जा रही है। साथ ही राज्य सरकार पहले के विधेयक की कमियों को दूर करने की तैयारी में लगी है।
धामी सरकार भी चाहती है कि उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण मिले। हालांकि इस संबंध में पूर्व की सरकारें भी विधेयक पास चुकी थीं। लेकिन इसके खिलाफ दायर की याचिका पर सुनवाई के बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 2013 में रोक लगा दी थी।
इसके बाद 2015 में हरीश रावत सरकार विधानसभा में इस आरक्षण को बहाल करने के लिए विधेयक पारित कर दिया था। इस विधेयक को मंजूरी के लिए बिल राज्यपाल के पास राज भवन भेज दिया था। तब से यह राजभवन में पड़ा हुआ था।
हालांकि 2018 में तत्कालीन त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर राज्य के आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण के प्रावधान को रद्द कर दिया था।
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हरीश रावत सरकार द्वारा राजभवन भेजे गये विधेयक को धामी सरकार ने वापस करने का अनुरोध किया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मांग पर राजभवन से विधयेक को सात साल बाद लौटा दिया गया। इसके बाद अब फिर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य के आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देना चाहते हैं।
इस विधेयक को विधानसभा में पारित कराना तो आसान है। लेकिन राजभवन को पास करने से कोई तकनीकी बाधा ने हो, इसके लिए गृह मंत्रालय व न्याय विभाग पहले वाले विधेयक का अध्ययन कर रहा है। ताकि पुराने विधेयक की कमी को दूर करके नया संशोधित विधेयक तैयार किया जा सके।
बता दें कि राज्य सरकार की ओर से उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों को 45 सौ रुपये प्रति माह पेंशन मिली है। सरकार द्वारा गंभीर घायल आंदोलनकारियों को 6 हजार रुपये पेंशन दी जाती है।