Vrindan Banke Bihari Corridor: बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर पर शुरू हुआ विवाद, पुजारियों और स्थानीयों का विरोध तेज
उत्तर प्रदेश सरकार ने वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन कर दिया है। इसके साथ ही परियोजना के लिए बड़ी धनराशि भी स्वीकृत की गई है। सरकार का उद्देश्य लाखों श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन सुविधा देना है, जो अब तंग गलियों और भीड़भाड़ से परेशान रहते हैं।
Vrindan Banke Bihari Corridor: उत्तर प्रदेश सरकार ने वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन कर दिया है। इसके साथ ही परियोजना के लिए बड़ी धनराशि भी स्वीकृत की गई है। सरकार का उद्देश्य लाखों श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन सुविधा देना है, जो अब तंग गलियों और भीड़भाड़ से परेशान रहते हैं।
गोस्वामी समाज और दुकानदारों का विरोध
कॉरिडोर की घोषणा होते ही मंदिर से जुड़े गोस्वामी समाज, पुजारी वर्ग और स्थानीय दुकानदारों में नाराजगी फैल गई। उनका कहना है कि सरकार यह परियोजना जबरन थोप रही है और इससे मंदिर की पारंपरिक संस्कृति और स्थानीय व्यापार दोनों को नुकसान होगा। गोस्वामी समाज के कई सदस्य सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
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“विकास नहीं, विनाश है यह परियोजना” – विरोधियों का आरोप
प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि कॉरिडोर के नाम पर वृंदावन की ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान को मिटाने की कोशिश हो रही है। उनका मानना है कि इस परियोजना से कई पुरानी दुकानों और धार्मिक स्थलों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। विरोध करने वाले पुजारी और स्थानीय लोगों ने इसे “विकास नहीं, वृंदावन का विनाश” करार दिया है।
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श्रद्धालु समर्थन में, सुविधा की उम्मीद
दूसरी ओर, कई श्रद्धालु इस परियोजना के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि हर साल लाखों भक्त बांके बिहारी के दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन तंग गलियों और अव्यवस्थित भीड़ के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। श्रद्धालुओं को उम्मीद है कि कॉरिडोर बनने के बाद दर्शन आसान होंगे और व्यवस्थाएं बेहतर होंगी।
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समाधान की तलाश ज़रूरी
अब सवाल उठता है कि क्या सरकार विकास और विरासत दोनों के बीच संतुलन बना पाएगी? क्या पुजारियों और स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर समाधान निकाला जाएगा? वृंदावन की आस्था, परंपरा और श्रद्धा के बीच यह टकराव जल्द सुलझे, यही सभी की अपेक्षा है।
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