RSS Chief views on Country Security: हमारे पास शक्तिशाली होने के अलावा कोई विकल्प नहीं… आरएसएस प्रमुख ने कहा- आत्मरक्षा हमारा कर्तव्य है
मोहन भागवत ने कहा कि असली ताकत आंतरिक होती है। हमें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमें खुद की सुरक्षा करने में सक्षम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि चाहे कितनी भी ताकतें एक साथ आ जाएं, हमें कोई नहीं हरा सकता।
RSS Chief views on Country Security: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ऑर्गनाइजर को दिए इंटरव्यू में देश की सुरक्षा और हिंदू समाज की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें शत्रुतापूर्ण ताकतों के गठबंधन के खिलाफ अपनी आंतरिक शक्ति को मजबूत करना चाहिए, ताकि देश अजेय बन सके।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत को अपनी शक्ति को धर्म और सदाचार से जोड़ने की जरूरत है। इसके लिए सिर्फ सैन्य या शारीरिक शक्ति ही काफी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सीमा पर हमले का मुकाबला करने के लिए इसका नैतिक उद्देश्य से इस्तेमाल करना होगा।
हमें कोई नहीं हरा सकता
मोहन भागवत ने कहा कि असली ताकत आंतरिक है। हमें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमें अपनी सुरक्षा खुद करनी चाहिए। चाहे कितनी भी शक्तियां एक साथ आ जाएं, हमें कोई नहीं हरा सकता। उन्होंने कहा कि दुनिया में कई बुरी शक्तियां हैं, जो स्वभाव से ही आक्रामक हैं। इसलिए एक गुणवान व्यक्ति केवल अपने गुणों के कारण सुरक्षित नहीं है, उसे गुणों को शक्ति के साथ जोड़ना चाहिए।
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सभी सीमाओं पर दुष्ट शक्तियां
उन्होंने कहा कि हमें गुण और शक्ति दोनों की पूजा करनी चाहिए। हमारे पास अच्छाई की रक्षा करने और बुराई को नष्ट करने की शक्ति होनी चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जब कोई विकल्प नहीं होता है, तो बल के द्वारा दुष्टों को समाप्त करना पड़ता है। हम अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए कर रहे हैं कि सभी शांतिपूर्ण, स्वस्थ और सशक्त जीवन जी सकें। हमारे पास शक्तिशाली होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि हम अपनी सभी सीमाओं पर दुष्ट शक्तियों का कहर देख रहे हैं।
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भारत की आंतरिक शक्ति और एकता
उन्होंने कहा कि हिंदुओं की सुरक्षा तभी होगी जब हिंदू मजबूत होंगे। विश्व स्तर पर हिंदुओं की सुरक्षा भारत की आंतरिक शक्ति और एकता पर निर्भर करती है। भागवत ने बांग्लादेश के हिंदुओं का उदाहरण दिया, जहां उन्होंने भागने के बजाय लड़ने का साहस दिखाया। यह मानसिकता में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जो बढ़ते आंतरिक आत्मविश्वास और साहस का प्रतीक है।
भारत को वैश्विक सम्मान मिला
मोहन भागवत के अनुसार हिंदू समाज और भारत का गौरव एक दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। हिंदू समाज का सशक्त और गौरवशाली स्वरूप ही भारत को वैश्विक स्तर पर सम्मान और ताकत देगा। उन्होंने समाज से एकजुट होकर देश की सभ्यतागत विरासत को मजबूत करने का आह्वान किया।
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