Fake Drugs Rackets Cancer Deseases Delhi: वैसे तो जो दवाईय़ां संजीवनी बनती थी, जो दवाईयां नया जीवन देती थी, आज उन्हीं दवाईयों के नाम पर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कैंसर की दवाईयों के नाम पर सबसे बड़ा धोखा हो रहा है। कैंसर, एक ऐसा शब्द और एक ऐसी बीमारी जिससे दुनियाभर में हर रोज़ कितनी ज़िंदगियां हार जाती है। एक बीमारी जिसका इलाज करवाने के लिए कई लोगों की पूरे जीवन की कमाई तक लग जाती है लेकिन फिर भी वो इलाज करवाते हैं ताकि नई ज़िंदगी मिल सके। लेकिन सोचिए अगर जिन दवाईयों को कैंसर के मरीज संजीवनी समझकर लेते हैं। वही नकली हो तो कुछ ऐसा ही हुआ है दिल्ली में जहां जीवन रक्षक कैंसर की कीमोथेरेपी की नकली दवाईयों के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया गया है।
दिल्ली में क्राइम ब्रांच ने कैंसर की नकली दवाएं बनाने का रैकेट पकड़ा है। ये रैकेट कीमोथेरोपी की नकली दवाएं बनाता था और असली दवाईय़ों की खाली शीशियों में नकली दवाएं भरकर देश भर में सप्लाई करता था। इस रैकेट में दिल्ली के बड़े नामी कैंसर अस्पताल के 2 कर्मचारी भी शामिल थे। इस मामले में कुल 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस की टीम ने सूचना मिलने के बाद अलग- अलग जगहों पर एक साथ छापेमारी की। दिल्ली के मोती नगर में इस रैकेट का मुख्य स्थान था जहां नकली दवाईयां विफिल जैन बनाता था। जो कि इस रैकेट का सरगना था.. ये काम बाकायदा फ्लैट लेकर उसमें किया जाता था जहां नकली दवाईयां बनाई जाती थी और फिर से उन्हें भरा जाता था
दरअसल इस रैकेट से जुड़े लोग अस्पतालों से असली दवाईयों की खाली शीशियां लेते थे। इसके लिए दिल्ली के एक अस्पताल के दो कर्मचारी उनके साथ मिले थे। जो 5000 रूपए में एक शीशी इस रैकेट को बेचते थे.. खाली शीशी मिलने के बाद आरोपी इसमें एंटी फंगल दवाएं भरकर बेचते थे। इसके लिए वो दूसरे राज्यों के दवा विक्रेताओं और कैंसर के मरीजों से सीधा संपर्क करते थे और सस्ती कीमत में दवा देने का झांसा देते थे. जिस दवाईयों की शीशी में नकली दवाई भरी जाती है। उसकी कीमत 1.5 लाख थी।
1.5 लाख की दवाई के नाम पर 100 रूपए की एंटी फंगल दवा कई लोगों की कैंसर से मौत का कारण बनती थी। ये नकली दवाईयां कैसे कैंसर मरीजों को धोखा देती थी नकली कीमो की दवाई असली कीमो की तरह काम नहीं कर पाती। असली कीमोथेरेपी की तरह कैंसर को मारने में नाकाम होती थी। जिससे मरीज का कैंसर कम होने की जगह बिना इलाज के ही लगातार बढ़ता रहता था.. और अंत में कैंसर उनकी जान ले लेता था। सोचिए जिस दवाई को एक मरीज अपनी सबसे बड़ी संजीवनी बनकर लेता था.. जिस दवाई से वो उम्मीद करता था कि वो उसके कैंसर जैसी बीमारी से निजात दिलाएगा.. वही असल में नकली निकलती थी जिस वजह से ना जाने अब तक कितने मरीजों ने अपनी जान गंवाई होगी। पुलिस के मुताबिक इस रैकेट के लिए 7 अलग – अलग जगह छापेमारी की गई जिसमें 07 अंतर्राष्ट्रीय और 02 भारतीय ब्रांडों की ₹4 करोड़ कीमत की नकली कैंसर दवाएं बरामद थी। इसके अलावा दिल्ली, गुरूग्राम से सैंकड़ों खाली शीशियां भी बरामद की गई.. इसके अलावा कब्जे से 89 लाख रुपये नकद, 18 हजार रुपये के डॉलर भी बरामद की गई। अब पुलिस इस बात की जांच में जुटी है कि अवैध दवाओं के इस सिंडिकेट में कितने लोग काम कर रहे हैं. अब तक कितने लोगों को ये सलाह दी गई है. कहां-कहां दवाओं की आपूर्ति सिंडिकेट के लोगों ने की है।