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Aurangzeb: औरंगज़ेब ने क्यों दिए थे आदेश हिंदुओं के मंदिरों गिराने के

मुगल साम्राज्य के छठे बादशाह औरंगजेब ने 9 अप्रैल 1669, को हिंदुओं के मंदिरों को गिराने का निर्देश दिया था  उसके यह निर्देश शासन वाले सभी 21 सूबों में लागू हुए. यहां हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं और त्योहारों को मनाने पर भी रोक लगा दी गई थी

सबसे पहले जानते हैं किस किस मंदिर को औरंगजेब के आदेश पर गिराए गया

मलरीना मंदिर (Malarina Temple): 350 साल पहले वह अजमेर (Ajmer) प्रांत का हिस्सा था। यहां एक भव्य मलरीना मंदिर (Malarina Temple)  था। औरंगजेब ने सेना भेजकर इसे गिरवा दिया। मंदिर गिराने के 22 साल बाद 23 जून 1694 को दोबारा से औरंगजेब ने अजमेर के गवर्नर (Governer) को मूर्ति पूजा पर रोक लगाने के आदेश दिए थे।

चिंतामण मंदिर (Chintaman Temple): अहमदाबाद के पास सरसपुर शहर में स्थित मशहूर चिंतामण मंदिर (Chintaman  Temple) था। इस मंदिर को सीतादास जौहरी ने बनवाया था। भगवान गणेश के इस मंदिर में पूरे इलाके के लोग पूजा करने के लिए आते थे। इस मंदिर को औरंगजेब के आदेश पर कुव्वत-उल-इस्लाम (Quwwat-ul-Islam)नाम की एक मस्जिद में बदल दिया गया।

सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple): 17वींं सदी के अंत में औरंगजेब ने गुजरात (Gujrat) प्रांत के गवर्नर को पत्र लिखकर कहा था कि सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) को ध्वस्त करके वहां मूर्ति पूजा बंद करा दी गई थी। काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब के आदेश के बाद सैकड़ों सैनिकों ने काशी विश्वनाथ मंदिर पर हमला कर ध्वस्त कर दिया गया।

मंदिरों को तोड़ने की औरंगजेब की क्या थी वजह ?

जब औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़ने के आदेश जारी किए थे. उस वक्त के राजा-महाराजा मंदिर और मठ बनवाते थे. ऐसे में जब कोई दूसरा राजा उस साम्राज्य को जीतता था तो वह सबसे पहले उस साम्राज्य के प्रतीक को खत्म करना चाहता था। अकेला औरंगजेब नहीं, बल्कि कई दूसरे राजाओं ने भी ऐसा किया। मंदिर गिराने वालोंं मेंं हिंदू राजा भी थे।

क्या औरंगजेब को थी हिंदुओं से नफरत ?

इतिहासकार इरफान के मुताबिक कि औरंगजेब ने ताकत के लिए अपने पिता को बंदी बनाया था और भाई की हत्या कर दी थी. वह हिंदुओं से नफरत की वजह से नहीं बल्कि अपनी ताकत दिखाने के लिए मंदिरों को तोड़ता था। उस समय हर राजा अपने साम्राज्य में मंदिर स्थापित कराते थे। ऐसे में दूसरा राजा इन मंदिरों को गिराकर अपनी ताकत का अहसास कराता था।औरंगजेब के समय में सबसे ज्यादा हिंदू ही उसकी सेना में थे। वह चाहता तो इन सभी का धर्म बदलवा देता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने सिर्फ अपने दुश्मनों को धर्म बदलने के लिए मजबूर किया था।

औरंगजेब को हिंदू विरोधी माने जाने की 2 वजह थी-

1. वह इस्लाम धर्म को मानने वाला कट्टर सुन्नी था।

2. वह मौलानाओं के प्रभाव में फैसला लेता था।

औरंगजेब ने हिंदुओं को मुस्लिम कैसे बनाया?

औरंगजेब( Aurangzeb) से पहले के भी मुगल शासक अपने खजाने को भरने के लिए इस तरह के टैक्स(tax) लेते थे। उन्होंने कहा कि तलवार की ताकत पर धर्म बदलवाने की बात होती तो वो सबसे पहले अपने सैनिकों का धर्म बदलवाता था उसकी सेना और उसके अधिकारियों मे सबसे ज्यादा हिंदू थे.

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क्या औरंगजेब ने किए हिंदुओं के लिए अच्छे काम?

औरंगजेब( Aurangzeb) ने मंदिर सिर्फ तोड़े नहीं बल्कि बनवाए भी थे। उसके बनाए गए मंदिरों में बालाजी मंदिर चित्रकूट, उमानंद मंदिर गुवाहाटी शामिल हैं। इसी तरह कई मंदिरों जैसे महाकालेश्वर और सोमेश्वर मंदिर को उसने दान दिए थे।  औरंगजेब और दूसरे मुगल शासकों ने हिंदू और मुस्लिम के बीच भाईचारा बढ़ाने की भी कोशिश की। वहीं, औरंगजेब कभी नहीं बदला। औरंगजेब को लगता था कि उसे खुदा ने चुना है। इसी वजह से वह अंत तक खुदा के प्रति हमेशा वफादार रहा। उसने अपने शासन के दौरान ही हिंदुओं के मंदिर तोड़े थे और बनवाए भी थे। इसलिए ये कहना कि बाद के दिनों में वह बदल गया, सही नहीं है। उसके समय में पूरी दुनिया में एक चौथाई GDP हिंदुस्तान की थी। ये सब अच्छा भी हो रहा था। औरंगजेब के फैसले को हिंदू-मुस्लिम (Hindu-Muslim) से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उस समय हर धर्म के राजा शासन चलाने के लिए तलवार का इस्तेमाल करते थे। कोई ज्यादा कट्टर तो कोई कम कट्टर होता था।

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