Nag Panchami 2023: कल यानी 21 अगस्त सावन से 7वें सोमवार को नाग पचंमी (Nag Panchami) का त्योहार भी है। उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में नाग पचंमी के दिन गुड़िया को पीटे जाने की भी परंपरा है। ऐसा क्यों है? इसके पीछे की क्या वजह है इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे आपको आज के इस आर्टिकल में
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल नाग पंचमी का त्योहार सावन के 7वें सोमवार यानी 21अगस्त को पड़ रहा है। इस बार सावन का महीना बेहद ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दिन सावन का सोमवार और नाग पंचमी (Nag Panchami) दोनों एक ही दिन पड़ रहे है। नाग पंचमी हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की कृष्ण पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक काल से ही सर्पों को देवता मानकर इनकी पूजा की जाती रही है, इसलिए इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ नाग देवता की पूजा करता है उनकी मनो इच्छा पूर्ण होती है। इस दिन नाग देवता पर दूध से अभिषेक किया जाता है और सांपों को दूध भी पिलाया जाता है।
इस बार नाग पंचमी (Nag Panchami) 21अगस्त दिन सोमवार को है। सावन के सोमवार को भगवान भोलेनाथ का व्रत भी रखा जाता है। इस तरह इस बार भोलेनाथ का व्रत और नाग पंचमी एक साथ पड़ रही है। इसलिए इन सभी देवताओं की एक साथ पूजा करने से ये दिन और भी ज्यादा शुभ हो जाता है।
नागपंचमी का महत्व
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मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता पर दूध से अभिषेक किया जाता है और उनकी पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा करने से नाग देवता की कृपा बनी रहती है और सभी कष्टों से मुक्ति भी मिलती है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति को कालसर्प दोष से भी छुटकारा मिलता है।
आपको बता दें कि इस पावन तिथि को नाग देवता की पूजा के लिए जाना जाता है, लेकिन इसी पर्व पर उत्तर प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में गुड़िया का पर्व भी मनाया जाता है. जिसे बनाकर पीटा जाता है इसके पीछे की क्या वजह है बताते है हम आपको
Nag Panchami पर क्यों पीटी जाती है गुड़िया?
उत्तर प्रदेश के तमाम गांवों, कस्बों और शहरों में नागपंचमी के त्योहार पर हर साल गुड़िया का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। गुड़िया का ये पर्व मनाने के लिए लड़कियां कई दिनों पहले से ही पुराने कपड़ों से अपनी-अपनी अलग-अलग तरह की गुड़िया बनाना शुरू कर देती हैं। आपको बता दें कि इस गुड़िया को पुराने कपड़ों से तैयार किया जाता है। इसके बाद बनी हुई गुड़िया को चौराहे या तालाब आदि के पास रखा जाता है और इसके बाद चौराहे या तालाब पर लड़कियों के भाई और दूसरे बच्चे इकट्ठा होकर डंडे से गुड़िया को पीटते हैं।
क्या है गुड़िया को पीटने के पीछे की वजह?
उत्तर प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में नाग पंचमी के दिन गुड़िया की पिटाई के पीछे एक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में नाग देवता का एक बहुत बड़ा भक्त था जिसका नाम था महादेव। महादेव नाम का ये भक्त रोजाना शिवालय में जाकर भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ नाग देवता की भी विशेष रूप से पूजा अर्चना किया करता था। यह माना जाता है कि नाग देवता उसकी इस श्रद्धा और भक्ति से बेहद प्रसन्न हुए थे और उसी के चलते नाग देवता महादेव को रोजाना दर्शन दिया करते थे। यहां तक कि कई बार मंदिर में पूजा के दौरान नाग उस शिवभक्त महादेव के पैरों पर लिपट जाया करते थे, लेकिन नाग देवता की असीम कृपा की वजह से भक्त महादेव के पैरों से लिपटे हुए नाग उसे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाते थे।
ऐसे ही एक दिन जब महादेव पास के ही शिवालय में जाकर भगवान भोलेनाथ और नाग देवता की पूजा-अर्चना कर रहा था और ध्यान मग्न था तो हर बार की तरह इस बार भी एक सांप आकर भक्त महादेव के पैरों में लिपट गया। ठीक उसी समय महादेव की बहन वहां पर पहुंच गई और अपने भाई के पैरों में लिपटे हुए सांप को देखकर बहुत भयभीत हो गई। उसके भाई को नाग डंस न ले ये सोचकर कर उसने एक डंडा उठाया और अपने भाई के पैरों पर लिपटे नाग पर मारना शुरू कर दिया। उसके ऐसा करने से नाग की मृत्यु हो गई थी। जब भक्त महादेव अपने ध्यान से बाहर आया तो उन्होंने अपने सामने नाग को मृत पाया।
भक्त महादेव को ये देखकर बेहद गुस्सा आया और जब उसने इसकी वजह अपनी बहन से पूछी तो बहन से सब कुछ सच-सच बता दिया। उसके इस कृत्य के बाद महादेव ने अपने बहन से कहा कि तुमने नाग देवता को मार दिया है लेकिन तुम्हें इसका दंड जरूर मिलेगा। चूंकि भक्त महादेव की बहन ने अपने भाई की रक्षा के लिए नाग को मारा था इसलिए इस दिन को प्रतीकात्मक सजा के तौर पर पुराने कपड़े से बनी गुड़िया बनाकर उसे पीटा जाता है। इसलिए तब से लेकर आज तक उत्तर प्रदेश के तमाम जगहों पर नाग पंचमी के त्योहार के दिन गुड़िया को बनाकर उसे पीटने की परंपरा चली आ रही है।