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देश में कोरोना के विस्फोट के साथ अब टाइप 1  Diabetes का भी खतरा, जानिए बच्चों के लिए कितनी खतरनाक है बीमारी?

नई दिल्ली: देश में जहां एक तरफ कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ टाइप-1 Diabetes (Type 1 Diabetes) अब इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के लिए समस्या बनता जा रहा है. डायबिटीज को काबू करने के लिए सोमवार को ICMR ने दिशा-निर्देश जारी किए है.

दुनियाभर में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों और किशोरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 2021 तक दुनियाभर में 12.11 लाख से ज्यादा बच्चे और किशोर टाइप 1 डायबिटीज से जूझ रहे थे. इनमें से आधे से ज्यादा की उम्र 15 साल से कम है. इनमें भी सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की है. भारत में 2.29 लाख से ज्यादा बच्चे और किशोरों को टाइप 1 डायबिटीज है.

दुनियाभर में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों और किशोरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. बीते साल भारत में टाइप 1 डायबिटीज के 24 हजार से ज्यादा नए मरीज सामने आए हैं. यानी, हर दिन 65 से ज्यादा बच्चे और किशोर टाइप 1 डायबिटीज का शिकार बन गए. 

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डायबिटीज दो तरह की होती है. टाइप 1 और टाइप 2. टाइप 1 डायबिटीज कम उम्र में ही हो जाती है. इससे पीड़ित व्यक्ति को जीने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है. इसका कोई ठोस इलाज भी नहीं है. वहीं, टाइप 2 से जूझ रहे लोगों का दवाओं और थैरेपी के जरिए इलाज तो हो सकता है, लेकिन इन्हें भी इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है. 

टाइप 1 डायबिटीज होने पर शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है. ये बीमारी आमतौर पर कम उम्र में या छोटे बच्चों में होती है. लेकिन कई बार ये वयस्कों और ज्यादा उम्र के लोगों को भी हो सकती है. 

दुनिया के कई देशों में बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले भी सामने आए हैं, खासकर ऐसे बच्चों में जो मोटापे से जूझ रहे हैं. IDF की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 7.4 करोड़ लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं. दुनिया में भारत दूसरे नंबर पर है, जहां सबसे ज्यादा डायबिटीज पीड़ित हैं. 2045 तक डायबिटीज पीड़ितों की संख्या साढ़े 12 करोड़ पहुंचने का अनुमान है.

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