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Kanpur Violence: हयात जफर ने रिमांड में उगली सच्चाई, 200 हिन्दू परिवारों को उजाड़ने की थी साजिश !

कानपुर: तीन जून को जुम्मे की नमाज के बाद हुई हिंसा के मुख्य साजिशकर्ताओं का भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगम्बर मोहम्मद के बारे में दिये गये बयान से कोई मतलब नहीं था। वे तो नूपुर शर्मा द्वारा पैगम्बर मुहम्मद की शान में गुस्ताखी की अफवाह फैलाकर क्षेत्र में दंगा इसलिए कराना चाहते थे, ताकि चार बीघा में बने चंद्रेश्वर हाता में रहने वाले दौ सौ से अधिक हिन्दू परिवार डर कर वहां से पलायन कर लें और इस अहाते की भूमि को एक बिल्डर खरीद कर मनमाने ढंग से इसका उपयोग कर सके।

इस सच्चाई को कानपुर हिंसा के मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी ने पुलिस कस्टडी रिमांड के दौरान हुई पूछताछ में खुद उगला है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि रिमांड में पूछताछ में हयात जफर ने हिंसा से जुड़ी हुई कई चौंकाने वाली जानकारी देने के साथ ही हिंसा करने की साजिश के बारे में कई राज उगले। इस षडयंत्र में कानपुर के बिल्डर हाजी वसी की बहुत बडी भूमिका थी। इस बिल्डर की नजर काफी समय से चार बीधा में बने चंद्रेश्वर हाता पर है। यह जमीन लाल मणि मिश्रा की थी और उन्होने कई दशक पहले अपने बेटे चंद्रेश्वर के नाम पर यह हाता बसाया था, जिसमें आज 200 से अधिक हिन्दू परिवारों के करीब दो हजार लोग रहते हैं और इस हाता में ही 1100 मतदाता हैं। इसलिए किसी भी चुनाव में यह वोट निर्णायक भूमिका में होते थे।

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हयात जफर हाशमी इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए हिन्दू विरोधी गतिविधियों में बढचढकर हिस्सा लेता था और तमाम गैर कानूनी कामों और असामाजिक कृत्यों में लिप्त था। वह बिल्डर हाजी वसी का खास और नजदीकी होने के कारण क्षेत्र में उसका दबदबा भी था। हयात जफर के नापाक इरादे वाले गैर कानूनी कामों के लिए बिल्डर हाजी वसी ही फाईनेंस करता था। पुलिस जफर के पूछताछ में पता चला है कि हाजी वसी के तमाम अवैध इमारतें हैं, जिनमें वह बाहर से जमात के लिएआने वाले मुस्लिमों और नमाजियों को ठहराता है।

कई साल पहले अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में कानपुर विकास प्राधिकरण के तत्काल उपाध्यक्ष ने हाजी वसी की इन अवैध इमारतों को सील करने व गिराने के आदेश दिये थे, तो उसने उपाध्यक्ष के कार्यालय जाकर कार्रवाई करने पर धमकी दी थी कि उसकी इमारतों को गिराने या सीज करने वाले कर्मचारियों के वापसी में कम ही संख्या में लौटेंगे। इसके बाद राजनीतिक दबाब के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी थी, लेकिन योगी सरकार में उम्मीद है कि प्राधिकरण हाजी वसी से अब जल्द ही सारा हिसाब किताब करने की तैयारी में है।

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