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Latest News Lok Sabha Election 2024: बिहार में धर्म नहीं जाति का समीकरण हावी है !

Latest News Lok Sabha Election 2024: बिहार की राजनीति इस बार बदल सी गई है। पहले राजद कोटे से यादव के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मेद्वारों को तरजीह दी जाती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। राजनीति के खिलाडी लालू यादव पहले इस बात को भांप गए थे कि इस बार की लड़ाई कोई सदाहरण लड़ाई नहीं है राजद को यह भी पता है कि इस बार न सिर्फ उसे संसद में अधिक से अधिक सांसदों को भेजना है बल्कि राजद को यह भी पता है कि बिहार में बीजेपी की हालत को कमजोर भी।

बिहार में बीजेपी की सीट घटेगी तभी राजद की सीट बढ़ेगी। ऐसे माहौल में राजद ने चुनावी समीकरण को ही बदलने का काम किया है। जो राजद पहले यादव और मुस्लिम समीकरण के सहारे राजनीति करती दिखती थी ,इस चुनाव में सब कुछ बदल गया है। बीजेपी के धार्मिक खेल को राजद ने कुंद कर दिया है। इतना ही नहीं जिस कुशवाहा वोट के सहारे बीजेपी और जदयू राजनीति करती नजर आती थी उसमे भी राजद ने बड़ा खेल कर दिया है। बीजेपी तो भौंचक है ही जदयू को भी कुछ नहीं सूझ रहा है।

हाल ये है कि पहले साह्राण के चुनाव में बिहार में जातीय खेल ही हावी रहे। वहां कोई धार्मिक खेल नहीं चल सका। उम्मीदवारों को देखकर और जातीय समीकरण को समझकर ही लोगों ने वोट डाले। बीजेपी के लिए यह मुसीबत की बात है। जानकार लोग कह रहे हैं कि बीजेपी और जदयू को कमजोर करने के लिए इस बार के चुनाव में राजद ,कांग्रेस और वाम दलों ने एक नया प्रयोग किया है। राजद ने अपने बार दो मुस्लिम उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा। मुस्लिम उम्मीदवार के बदले अधिक सीटें कुशवाहा समाज को दे दिया। कुशवाहा समाज के लोगों पर बीजेपी और जदयू हमेशा दावा करती रही है और इसका लाभ भी बीजेपी और जदयू को मिलते रहे हैं। लेकिन इस बार राजद ने पुरे खेल को ही बदल दिया।

पिछली बार राजद कोटे से 19 उम्मीदवार मैदान में खड़े थे जिनमे पांच उम्मीदवार मुस्लिम थे। लेकिन इस बार खेल बदल गया है। राजद ने कुशवाह उम्मीदवारों को ज्यादा तरजीह दी है। यादव के बाद सबसे ज्यादा कुशवाहा समाज के लोग ही राजद कोटे से चुनाव लड़ रहे हैं। सच तो यह है कि इस बिहार में महागठबंधन से आठ कुशवाहा उम्मीदवार मैदान में हैं। अब ऐसी हालत में बीजेपी और जदयू की मुश्किलें बढ़ी हुई है। जो वोटर पहले बीजेपी के साथ जाए थे इस बार जाती के आधार पर अपने समाज के राजद उम्मीदवार के समर्थन में खड़े हैं। जदयू और बीजेपी के लिए यहाँ एक नयी बात है।

बिहार हलकी जातीय समीकरण की रचना करता रहा है। एक समय था जब नीतीश कुमार ने लालू के खिलाफ लव और कुश समीकरण को तैयार किया था। इसमें बड़ी जाति कुशवाहा यानी कोइरी है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी कुशवाह समाज से ही आते हैं। लेकिन इस बार कुशवाह समाज से ज्यादा उम्मीदवार इंडिया गठबंधनमके पास है। जाहिर जो लोग पहले बीजेपी को वोट देते थे अब अपनी जाती को आगे बढ़ाने के लिए राजद उम्मीदवार को वोट डाल रहे हैं। पहले चरण में जिन चार सीटों पर चुनाव हुए है उसमे से बीजेपी दो सीटों पर खड़ी थी एक सीट नवादा की थी और दूसरी सीट औरंगाबाद की थी। बीजेपी ने नवादा से विवेक ठाकुर को मैदान में उतारा है जबकि औरंगाबाद से सुशील सिंह मैदान में हैं।

लेकिन राजद ने नवादा से श्रवण कुशवाहा को उतार रखा है जबकि औरंगाबाद से राजद के अभय कुशवाहा उम्मीदवार है। कहा जा रहा है कि इस बार राजद के दोनों उम्मीदवारों को उनकी जाति के सभी वोट मिले हैं। यही वजह है कि कांग्रेस ने भी एक नया दाव खेला है। कांग्रेस ने भी पटना साहिब सीट से इस बार अंशुल अविजित को मैदान में उतार दिया है। उनकी माता मीरा कुमार हैं लेकिन उनके पिता कुशवाहा समाज से हैं। कांग्रेस ने एक सीट कुशवाह को दी है जबकि मुकेश साहनी ने भी पूर्वी चामरं की सीट कुशवाहा को ही दी है। माले ने भी काराकाट सेठा पर कुशवाहा उम्मीदवार को ही उतारा है। यहाँ से राजराम कुशवाह मैदान में हैं। एनडीए की तरफ से यहाँ से उपेंद्र कुशवाहा मैदान में हैं।

कुल मिलकर इस बार विपक्षी गठबंधन से आठ कुशवाह उम्मीदवार मैफड़ों में हैं और यह सब जातियों की राजनीति को ही आगे बढ़ाने की कहानी है। अगर कोइरी वोट विपक्षी गठबंधन को जाता है तो साफ़ है कि बीजेपी और जदयू को बड़ा झटका लग सकता है। कहा जा रहा है कि विपक्षी गठबंधन को अगर इस नए प्रयोग का लाभ मिलता है तो यही फार्मूला विधान सभा चुनाव में भी आजमाया जा सकता है। विपक्षी के इस खेल से इस बार बीजेपी और जदयू की परेशानी बढ़ी हुई है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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