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 संसद में पक्ष -विपक्ष की लड़ाई अंत में नेताओं की लक्जरी पसंद पर पहुंची  

Indian Parliament News! संसद में लड़ाई तो अडानी समूह की जांच को लेकर चल रही है। सत्ता पक्ष जांच को लेकर तैयार नहीं है लेकिन विपक्ष की चाहत है कि अडानी समूह की जांच जेपीसी द्वारा कराई जाए। विपक्ष को प्रधानमंत्री मोदी से उम्मीद जगी थी कि सदन में आकर वे कोई बड़ी बात करेंगे और विपक्ष के सवालों पर अपनी राय देंगे। लेकिन पीएम मोदी लोकसभा से लेकर राज्यसभा में भाषण तो दिए लेकिन अडानी समूह पर कुछ बोलने की बजाय विपक्ष को ही लपेटे में ले लिया। पूरा संसद कई दिनी से मछली बाजार बना हुआ है। लगता है यह कोई लोकतंत्र का मंदिर नहीं प्रहसन का केंद्र है।      

इस बीच अब कहानी नेताओं की लक्जरी पसंद पर हो रही है। इसकी शुरुआत खड़गे की तरफ से ही हुई। उन्होंने जीपीसी की मांग  करते हुए राज्य सभा अध्यक्ष जगदीप धनकड़ की संपत्ति पर मजाक -मजाक में सवाल खड़ा कर दिया। खड़गे के इतना कहते ही माहौल बदला और बाते आगे तक चली गई। बीजेपी नेता उठ खड़े हुए और खड़गे को घेरते हुए कहा कि ‘खड़गे जी ने आज लुइ बितौं का दुपट्टा पहना है। क्या हमें इस पर गौर करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन करना चाहिए ?उन्हें दुपट्टा कहाँ से मिला ,किसने दिया और इसकी कीमत कितनी है ? कहा जा रहा है कि खड़गे की गले में पड़ा दुपट्टा 56 हजार की है।      

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इसके बाद तो सोशल मीडिया पर कई तरह की बाते होने लगी। फिर राहुल की टी शर्ट की चर्चा से लेकर महुआ मोइत्रा के महंगे शौक की भी चर्चा हुई। पीएम मोदी के शौक की भी चर्चा होने लगी ,साथ ही कई और नेताओं के लक्जरी शौक पर बाते होने लगी। बता दें कि खड़गे का मफलर लुई बितौं कंपनी का बताया गया। यह एक फ्रांसीसी कंपनी है। इसके प्रोडक्ट काफी महंगे होते हैं जो आम आदमी के बस से बाहर होते हैं। कोई आमिर आदमी ही इस प्रोडक्ट को खरीद पाता है।            

फिर चर्चा पीएम मोदी के शौक पर हुई। मोदी के दस लाख के सूट और डेढ़ लाख के चश्मे तक बात गई। भारत में जब 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा आये थे तब मोदी ने एक सूट पहना था। उस सूट की कीमत दस लाख बताई गई थी। मोदी हर रोज कपडे भी कई बार बदलते हैं उस पर भी चर्चा होने लगी। बाद में विपक्ष के नेता मोदी सरकार को सूट -बूट की सरकार कहने लगे। इसी तरह मोदी के मेबाख ब्रांड के चश्मे पर भी लोगो ने चर्चा की। धुप के इस चश्मे की कीमत डेढ़ लाख बताई जाती है। ऐसा है भी। देश के रईस लोग ही इस चश्मे को पहनते हैं। 

      महुआ मोइत्रा भी लपेटे में आ गयी। उनके डेढ़ लाख के बैग की चर्चा हुई। उनके लक्जरी रहन सहन पर बाते होने लगी। लोगो ने कहा कि वह महंगाई पर बात तो करती हैं लेकिन महंगे बैग लेकर आखिर उन्हें महंगाई पर बात करना शोभा नहीं देता। इसलिए वे महंगाई पर जब भी बोले इस बैग को साथ न लाये। राहुल गाँधी के 41 हजार के टी शर्ट पर भी कइयों ने बात की।           मामला फिर जयललिता तक पहुँच गई। कहा गया कि जयललिता महँगी साडी पहनती थी और दिन में कई बार बदलती भी थी। कुछ लोगो ने यह भी कहा जो साडी वह एक बार पहन जाती थी ,दुबारा नहीं पहनती थी। एक बार आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता के यहाँ छपा पड़ा तो दस हजार से ज्यादा साड़ियां मिली थी और साढ़े सात सौसे ज्यादा सैंडल।    

यह सच है कि भारतीय नेताओं के अपने शौक रहे हैं। यह भी सच है कि भारत आज भी गरीब देशो की सूची में शामिल है। यह विकासशील देश है। विकसित देश आज भी नहीं हुआ है। भले ही आजादी के 75 साल हो गए हैं और देश अमृतकाल मना रहा है लेकिन यह सच है कि देश के लिए यह अमृत काल भले ही नहीं हों ,नेताओं के लिए यह अमृत काल जरूर है। क्योंकि इस देश के हर नेताओं की आय हर साल बढ़ती है। क्या वे कोई व्यापार करते है ? इसका जवाब कोई नेता नहीं देता।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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