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मध्यप्रदेश के 2 ऐसे इलाके जहां हर बार अपने फैसले से चौंका देते है वोटर्स

MP Elections 2023: साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा को महज 2 सीटों पर ही जीत मिल पाई थी। विंध्य और ग्वालियर-चंबल का क्षेत्र उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है। जिस कारण से उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी बसपा और सपा का यहां अच्छा खासा असर नजर आता है।

Madhya Pradesh election

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जानकारी के मुताबिक आपको बता दें मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा ( BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच होता है। 2023 में भी दोनों के बीच कांटे की टक्कर है लेकिन इस बार कई पार्टियां चुनावी मैदान में हैं जो मुकाबले को रोचक बना रही हैं। आम आदमी पार्टी (AAP), बसपा और सपा (SP) जैसी पार्टियों ने चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इन सभी पार्टियों का फोकस विंध्य और ग्वालियर-चंबल अंचल है। विंध्य और ग्वालियर-चंबल अंचल ऐसे क्षेत्र हैं, जहां के वोटर्स ने अक्सर चौंकाने वाले फैसले दिए हैं। बीजेपी-कांग्रेस (BJP- Congress) ने अलावा यहां के वोटर्स ने अलग-अलग पार्टी के नेताओं काे चुनकर संसद और विधानसभा में भेजा है। आइए जानते हैं इन इलाकों के कुछ रोचक फैक्ट।

सबसे पहले आपको बता दें एमपी (Madhya Pradesh) का विंध्य क्षेत्र उत्तरप्रदेश (Uttar pradesh) की सीमा से सटा हुआ है। विंध्य क्षेत्र (Vindhya region) का सबसे बड़ा शहर रीवा जिला है। विंध्य क्षेत्र में बीजेपी-कांग्रेस के बाद बसपा का असर देखने को मिलता है। इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) अपने आप को मजबूत करने में जुटी हुई है। एमपी (Madhya Pradesh) के नगरीय निकाय चुनाव में भी सिंगरौली के वोटर्स ने चौंकाने वाला फैसला दिया था। यहां से आम आदमी पार्टी (AAP) की मेयर निर्वाचित हुई हैं।

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सांसद और विधायक अलग-अलग पार्टी के चुने

विंध्य इलाके की जनता ने 2009 के लोकसभा चुनाव में बेहद ही चौंकाने वाला निर्णय दिया था। 2009 में यहां की जनता ने बसपा (BSP) के देवराज पटेल को सांसद बनाया था। उससे भी बड़ी हैरानी तो तब हुई थी जब 1993 के विधानसभा चुनाव में सिरमौर विधानसभा सीट की जनता भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (JBCP) के उम्मीदवार रामलखन शर्मा को चुनाव जीताया।

रामलखन शर्मा तीन बार सिरमौर विधानसभा सीट से विधायक रहे। 2 बार वो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और एक बार जनता दल से चुनाव जीते थे। विंध्य की ही देवतलाब विधानसभा सीट से बसपा 2 बार चुनाव जीत चुकी है। विंध्य के ज्यादातर विधानसभा सीटों पर बसपा (BSP) का असर देखने को मिलता है। यहां हर बार बसपा निर्णाय लड़ाई में रहती है। कई विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां बसपा (BSP) के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे हैं।

ग्वालियर-चंबल का इलाका

ग्वालियर-चंबल इलाके के वोटर्स भी कई बार हैरान करने वाला फैसला दे चुके है। ये इलाका भी यूपी की सीमा से मिला हुआ है जिस वजह से बसपा (BSP) और सपा (SP) का अच्छा खासा असर दिखाई देता है। 1993 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने एमपी मेंरामलखन शर्मा 3 बार सिरमौर विधानसभा सीट से विधायक रहे। 2 बार वो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (BCP) और एक बार जनता दल से चुनाव जीते थे। विंध्य की ही देवतलाब विधानसभा सीट से बसपा 2 बार चुनाव जीत चुकी है। विंध्य के ज्यादातर विधानसभा सीटों पर बसपा का असर देखने को मिलता है। यहां हर बार बसपा निर्णाय लड़ाई में रहती है। कई विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां बसपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे हैं। 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी। ग्वालियर-चंबल की जौरा, सुमावली, गोहद और मेहंगाव ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां से बसपा के विधायक चुनाव जीत चुके हैं।

सोनेराम कुशवाह, ग्वालियर-चंबल अंचल में बसपा के बड़े चेहरे हैं। वो जौरा विधानसभा सीट से लगातार 2 बार विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। उन्होंने 1993 और 1998 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। कांग्रेस (Congress) का गढ़ मानी जाने वाली डबरा विधानसभा सीट में भी वोटर्स ने 1993 में चौंकाने वाला फैसला सुनाते हुए जवाहर सिंह रावत को चुनाव जीताया था।

Prachi Chaudhary

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