PM Modi to visit UK: पीएम मोदी जाएंगे 2 दिन के लिए ब्रिटेन दौरे पर, जानें क्या है दौरे का एजेंडा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 और 24 जुलाई के बीच यूनाइटेड किंगडम (यूके) की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। यह नई लेबर पार्टी सरकार के साथ उनकी पहली द्विपक्षीय वार्ता होगी।
PM Modi to visit UK: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 और 24 जुलाई को यूनाइटेड किंगडम (यूके) की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे। यह यात्रा ब्रिटिश प्रधानमंत्री सर कीर स्टारमर के निमंत्रण पर हो रही है, जिन्होंने हाल ही में देश की सत्ता संभाली है। यह प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन की चौथी यात्रा होगी, लेकिन नई लेबर पार्टी सरकार के साथ यह उनकी पहली द्विपक्षीय बातचीत होगी, और यही इस यात्रा को एक रणनीतिक मोड़ बनाता है।
क्यों है यह यात्रा महत्वपूर्ण?
ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत-ब्रिटेन संबंधों की नई दिशा तय करने का यह पहला अवसर होगा। इस दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच 2021 से चली आ रही व्यापक रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) की समीक्षा की जाएगी। खासकर ऐसे समय में जब ब्रिटेन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका को लेकर फिर से सक्रिय हो रहा है। दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर रुकी हुई बातचीत को आगे बढ़ाने की कोशिश हो सकती है, जिसे लेकर पिछली सरकार और भारत के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी थी।
क्या होगा बैठक का एजेंडा?
प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री स्टार्मर के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश, प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में सहयोग, रक्षा और साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य अनुसंधान, उच्च शिक्षा और सबसे महत्वपूर्ण, लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने सहित कई मुद्दों पर चर्चा होगी। क्योंकि भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में ब्रिटेन में बसे हुए हैं। इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी की चार्ल्स तृतीय से शिष्टाचार भेंट भी शामिल है, जिससे राजनयिक संबंधों की पारंपरिक मजबूती को भी बल मिलेगा।
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भारत-ब्रिटेन संबंधों के नए आयाम
पिछले कुछ वर्षो में भारत-ब्रिटेन संबंधों में व्यापारिक और रणनीतिक सहयोग की गति तेज़ हुई है। दोनों देशों ने 2021 में रोडमैप 2030 पर सहमति जताई है, जिसका उद्देश्य अगले दशक में संबंधों को एक वैश्विक शक्ति में बदलना है। हालांकि, ब्रिटेन में बार-बार सत्ता परिवर्तन और भारत में संवेदनशील मानवाधिकार वीजा मामलों को लेकर कुछ तनाव जरूर रहा है, लेकिन अब जबकि ब्रिटेन में सर कीर स्टारमर की नई सरकार बन गई है, माना जा रहा है कि दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत फिर से शुरू कर सकते हैं। ब्रिटेन पश्चिमी देशों में भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर करने वाला पहला देश बन सकता है, और यह इस यात्रा को आर्थिक और भू-राजनीतिक, दोनों ही दृष्टिकोणों से बेहद महत्वपूर्ण बनाता है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ब्रिटेन की बढ़ती रुचि और भारत की भूमिका
यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद, ब्रिटेन अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने रणनीतिक संबंधों को मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है। इस क्षेत्र का एकमात्र लोकतांत्रिक शक्ति केंद्र, भारत, ब्रिटेन का एक स्वाभाविक साझेदार है, खासकर चीन की आक्रामकता के बीच।
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संभावित घोषणाएं और समझौते
इस यात्रा के दौरान किसी बड़े आर्थिक समझौते, नवाचार कोष या नई रक्षा साझेदारी की घोषणा हो सकती है। कुछ जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्ष युवाओं के लिए विशेष वीजा या कौशल विनिमय कार्यक्रमों पर भी चर्चा कर सकते हैं।
एक कूटनीतिक परीक्षण मामला
यह यात्रा महज़ एक औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि बदलती वैश्विक राजनीति में भारत और ब्रिटेन एक-दूसरे को किस तरह प्राथमिकता देते हैं, इसका एक परीक्षण है। मोदी सरकार की “लुक वेस्ट” नीति और ब्रिटेन की “ग्लोबल ब्रिटेन” नीति, दोनों को इस यात्रा से नई गति मिल सकती है। प्रधानमंत्री मोदी 25 जुलाई को लंदन से सीधे मालदीव के लिए रवाना होंगे, जो इस यात्रा का दूसरा महत्वपूर्ण पड़ाव होगा।
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